Publish Date - October 25, 2024 / 05:58 PM IST,
Updated On - October 25, 2024 / 05:58 PM IST
Diwali Puja Vidhi in Hindi: दीपावली भारतीय पर्वों में सबसे प्रमुख पर्व है और वर्तमान में ही नहीं बल्कि युगों से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। दिवाली पांच दिनों की होती है, जिसमें पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन नरक चौदस, तीसरा दिन लक्ष्मी पूजा, चौथा दिन गोवर्धन पूजा और पांच दिन भाई दूज का होता है। इस बार दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ऐसे में आपका ये जानना जरूरी है कि पूजा के दौरान माता लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति किस दिशा में होनी चाहिए। तो आइए जानते हैं दिवाली की पूजा विधि, मुहूर्त और माता लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति दिशा…
शास्त्रों के मुताबिक, 31 अक्टूबर यानी गुरूवार को अमावस्था तिथि दिन में 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है। इस कारण से दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दीपावली के त्योहार पर रात्रि में अमावस्या तिथि होनी चाहिए जो कि 1 नवंबर 2024 को शाम के समय नहीं है. ऐसे में दीवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते समय उनकी मूर्ति या चित्र को सही दिशा में रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वास्तु और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति को हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में रखना चाहिए। इस दिशा को शुभ और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इसलिए इस दिशा में माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को रखने से धन लाभ होता है। मां लक्ष्मी गणेश जी की माता स्वरूप हैं इसलिए उन्हें हमेशा गणेश जी के दाई तरफ स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा, पूजा करते समय ध्यान रखें कि मूर्तियां या चित्र आपके सामने हों और आप उनका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें, ताकि पूजा सही दिशा में संपन्न हो सके।
Diwali 2024 Puja Vidhi
लक्ष्मी पूजा वाले दिन पूजा के लिए सबसे पहले पवित्र होकर पूजा स्थल को साफ सुधरा करके वहां गंगाजल छिड़कें।
अब उस स्थल पर स्वस्तिक बनाएं और उसके ऊपर एक मुठ्ठी चावल रखें।
इसके बाद माता लक्ष्मी, श्रीगणेश और कुबेरजी को विराजमान करने के लिए लकड़ी का पाट रखें।
पाट के ऊपर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को रखें।
भगवान की फोटो या मूर्ति को साफ करने या गंगाजल छिड़कने के बाद अब उनके समक्ष अगरब्ती, धूप, दीप आदि प्रज्वलित करें।
अब माता की तस्वीर या मूर्ति के आसपास केले के पत्ते रखें और गन्ना रखें।
अब माता की सभी प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करें। जैसे कमल का फूल, सिंघाड़ा, पीली मिठाई, कमलगट्टा आदि।
फिर मां लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। उन्हें सबसे पहले फूल की माला पहनाएं और हल्दी, कुंकू एवं चावल लगाएं।
अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाएं।
सभी सामग्री अर्पित करने के बाद माता की आरती उतारें। हो सके तो आरती में घर के सभी सदस्य सम्मलित हों।
पूजा और आरती के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं।
ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
माता लक्ष्मी और गणपति की कृपा और आशीर्वाद के लिए मंत्र जपें: “ॐ श्री गणेशाय नमः” और “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्रों का जप करें।