Importance of Dhanteras : धनतेरस को होती है इन देवी देवताओं की पूजा.. इन चीजों को खरीदना माना जाता है शुभ, जानें इस त्योहार का महत्व

Importance of Dhanteras : 'धनतेरस' नाम दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'धन' या धन, और 'तेरस', जो 13वें दिन पर जोर देता है।

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  • Publish Date - October 21, 2024 / 12:11 PM IST,
    Updated On - October 21, 2024 / 12:11 PM IST

Importance of Dhanteras : इस वर्ष यह 29 अक्टूबर मंगलवार को पड़ रहा है। ‘धनतेरस’ नाम दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘धन’ या धन, और ‘तेरस’, जो 13वें दिन पर जोर देता है। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर जी के अलावा भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है। धन्वंतरि को आयुर्वेद के देवता और देवताओं का वैद्य माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ही सागर मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। धनतेरस का दिन धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

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क्या होता है इसका महत्व?

यह उत्सव धन,सुख,समृद्धि आदि का उत्सव माना जाता है और इस दिन लोग पुरानी परंपराओं का पालन करते हुए सोने और चांदी के गहने, वाहन और बर्तन पूरी आस्था और विश्वास के साथ खरीदते हैं ताकि जीवन में समृद्धि का स्वागत कर सकें। यह विशेष रूप से धन की देवी मानी जाने वाली देवी लक्ष्मी और ज्ञान के देवता भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए एक पवित्र दिन है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह दिन है जब क्षीर सागर के समुद्री मंथन के दौरान समुद्र से देवी लक्ष्मी निकली थीं,साथ ही इस दिन चिकित्सा के देवता भगवान धन्वंतरि का भी जन्म हुआ था। यही वजह है कि धनतेरस पारंपरिक रूप से धन, स्वास्थ्य और समृद्धि से जुड़ा हुआ है।

इस दिन लोग सौभाग्य, सफलता,अच्छे स्वास्थ्य और बुरी नज़र से सुरक्षा पाने के लिए माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करते हैं,पूजा करने के साथ ही लोग उन वस्तुओं में निवेश करते हैं जो अच्छे भाग्य और विकास का प्रतीक हैं और यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है।

इन चीजों को धनतेरस पर खरीदना होता है शुभ

बर्तन

धनतेरस में रसोई के बर्तन खरीदने की परंपरा काफी समय से चली आ रही है क्योंकि यह धन और भोजन के निरंतर प्रवाह का प्रतीक माना जाता है साथ ही ऐसा माना जाता है कि बर्तन (पीतल, तांबा और स्टील) खरीदना प्रचुरता का संकेत देता है।

सोना या चाँदी

सोना और चांदी धन और पवित्रता के परम प्रतीक माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस सोना या चांदी लेने के लिए सबसे भाग्यशाली दिन है, चाहे वह आभूषण हो या सिक्के। ये धातुओं को खरीदना न केवल धार्मिक आस्था पूरी करती है बल्की निवेश के रूप में भी सार्थक है, क्योंकि समय के साथ ये धातुऐं बचत के रूप में भी काम आ सकती हैं। धनतेरस एक रिवाज है और इस मान्यता पर आधारित है कि चांदी और सोना खरीदने से धन की देवी देवी लक्ष्मी घर में आमंत्रित होती हैं जिससे घर में सुख, समृद्धि बनी रहती है ।

झाड़ू

अधिकांश लोग सोना और चांदी खरीदना में सक्षम नहीं होते हैं तो वो लोग धनतेरस पर झाड़ू खरीदें सकते है। माना जाता है कि झाड़ू खरीदने से खुशियां आती हैं और कर्ज से मुक्ति मिलती है। झाड़ू को साफ सफाई का प्रतीक माना जाता है और यह भी माना जाता है कि देवी लक्ष्मी को साफ-सफाई पसंद है यही वजह है कि लोग दिवाली के दौरान अपने घरों की सफाई करते हैं।

वाहन और घर

धनतेरस पर वाहन और घर खरीदने का शुभ माना जाता है। माना जाता है कि वाहन खरीदने से यात्रा और प्रयासों में समृद्धि और सफलता मिलती है, जबकि धनतेरस के दौरान जमीन या घर खरीदने से वित्तीय स्थिरता और दीर्घकालिक भाग्य प्राप्त होता है।

 

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