Publish Date - November 8, 2023 / 12:19 PM IST,
Updated On - November 8, 2023 / 12:19 PM IST
Laxmi Puja on Diwali 2023: इस साल दिवाली का त्योहार 12 नंवबर रविवार को है। उस दिन शाम के समय में माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की पूजा होगी। कार्तिक अमावस्या पर दिवाली की पूजा करने से धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य आदि में बढ़ोत्तरी होती है। माता लक्ष्मी धन, वैभव प्रदान करती हैं, गणेश जी के आशीर्वाद से सभी कार्य शुभ होते हैं और धन स्थाई होता है, जबकि धनपति कुबेर की पूजा करने से धन संरक्षित रहता है।
‘दिवाली’ को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता हैं। यह त्योहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।
यह रोशनी का त्योहार है, जो अंधकार में रोशनी का विजय प्रतीक है। दिवाली वास्तव में एक मिलन का त्योहार है, जिसमें सभी अपनों से मिलते हैं और खुशियां बांटते हैं।
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस से ही यह उत्सव शुरू हो जाता है और अमावस्या के दिन दीपक जलाकर दिवाली मनाते हैं। यह पर्व हमारे जीवन में सुख-शांति लाता है। इस अवसर पर व्यापारी अपने व्यवसायों क नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत भी करते हैं।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचाग के अनुसार दिवाली 12 नवंबर 2023 की रात को मनाना सबसे शुभ रहेगा। लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 12 नवंबर की शाम 5:40 मिनट से लेकर 7:36 मिनट तक करीब 1 घंटे 55 मिनट का रहेगा।
दिवाली पूजा विधि
जहां पूजा करनी है, उस जगह को साफ करें।
ज़मीन पर आटे या चावल से चौक बनाएं।
आपसे चौक न बनें तो केवल कुमकुम से स्वास्तिक बना लें या कुछ दाने अक्षत के रख दें।
इसपर अब एक चौकी रखें, उसपर लाल कपड़ा बिछाएं।
अक्षत का आसन देते हुए, माता लक्ष्मी और गणेश को विराजमान करें।
लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाहिने ओर ही स्थापित करें और दोनों प्रतिमाओं का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में ही रखें।
अब हम दोनों प्रतिमाओं के आगे थोड़े रुपए, गहने और चांदी के सिक्के रखें।
चांदी के सिक्के देवता कुबेर का स्वरूप होते हैं, अगर यह आपके पास उपलब्ध न हों तो आप कुबेर जी का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से अष्टदल यानी 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं।
जल से भरे कलश को उसपर रख दें, इसके अंदर गंगा जल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दूर्वा, सुपारी, लौंग और इलायची का जोड़ा डालें।
अगर आपके पास यह सब सामग्री नहीं है तो केवल शुद्ध जल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम भी डाल सकते हैं।
कलश पर हम कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं।
साथ ही आम के पत्तों पर भी हल्दी-कुमकुम लगाएं।
इस कलश में आम के पत्ते भी डालें और उसके ऊपर नारियल पर मौली बांधकर रख दें।
चौकी के सामने अन्य सामग्री भी लगा कर रख दें।
आप दो बड़े चौमुखी घी के दीपक रख लें और 11 दीयों में सरसों का तेल डालें।