Diwali Katha in Hindi: दिवाली पर जरूर करें इस कथा का पाठ, वरना.. अधूरी रह जाएगी माता लक्ष्मी की पूजा!

Diwali Katha in Hindi: दिवाली पर जरूर करें इस कथा का पाठ, वरना.. अधूरी रह जाएगी माता लक्ष्मी की पूजा! Laxmi Ji Ki Katha in Hindi

  •  
  • Publish Date - October 24, 2024 / 05:10 PM IST,
    Updated On - October 24, 2024 / 05:10 PM IST

Diwali Katha in Hindi: दीपावली भारतीय पर्वों में सबसे प्रमुख पर्व है और वर्तमान में ही नहीं बल्कि युगों से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। दीपावली का त्योहार सबसे पहले सतयुग में मनाई गई थी। जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो इस महा अभियान से ही ऐरावत, चंद्रमा, उच्चैश्रवा, परिजात, वारुणी, रंभा आदि 14 रत्नों के साथ हलाहल विष भी निकला और अमृत घट लिए धन्वंतरि भी प्रकटे। बता दें कि इसी से स्वास्थ्य के आदिदेव धन्वंतरि की जयंती से दीपोत्सव का महापर्व आरंभ होता है। कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात धनतेरस को। तत्पश्चात इसी महामंथन से देवी महालक्ष्मी जन्मीं और सारे देवताओं द्वारा उनके स्वागत में प्रथम दीपावली मनाई गई। आइए जानते हैं दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में..

Read More: Diwali Kab Hai: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, किस दिन मनाई जाएगी दिवाली..? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिवाली की पौराणिक कथा

एक बार सनतकुमार ने ऋषि-मुनियों से कहा- महानुभाव! कार्तिक की अमावस्या को प्रातःकाल स्नान करके भक्तिपूर्वक पितर तथा देव पूजन करना चाहिए। उस दिन रोगी तथा बालक के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए। सायंकाल विधिपूर्वक लक्ष्मी का मंडप बनाकर उसे फूल, पत्ते, तोरण, ध्वजा और पताका आदि से सुसज्जित करना चाहिए। अन्य देवी-देवताओं सहित लक्ष्मी का षोड्शोपचार पूजन करना चाहिए। पूजनोपरांत परिक्रमा करनी चाहिए।

Read More: Dhanteras 2024 Shubh Muhurat: धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग का संयोग, इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान धनवंतरी की पूजा 

मुनिश्वरों ने पूछा- लक्ष्मी पूजन के साथ अन्य देवी-देवताओं के पूजन का क्या कारण है? सनतकुमारजी बोले- लक्ष्मीजी समस्त देवी-देवताओं के साथ राजा बलि के यहां बंधक थीं। तब दिवाली के ही दिन भगवान विष्णु ने उन सबको कैद से छुड़ाया था। बंधन मुक्त होते ही सब देवता लक्ष्मीजी के साथ जाकर क्षीरसागर में सो गए। इसलिए अब हमें अपने-अपने घरों में उनके शयन का ऐसा प्रबंध करना चाहिए कि वे क्षीरसागर की ओर न जाकर स्वच्छ स्थान और कोमल शय्या पाकर यहीं विश्राम करें। जो लोग लक्ष्मीजी के स्वागत की तैयारियां उत्साहपूर्वक करते हैं, उनको छोड़कर वे कहीं भी नहीं जातीं।

Read More: Dhanteras Ke Upay: धनतेरस के दिन जरूर करें ये 5 काम, घर से दूर होगी दरिद्रता, नौकरी और व्यापार में मिलेगी तरक्की

रात्रि के समय लक्ष्मीजी का आवाहन और विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें विविध प्रकार के मिष्ठान्न का नैवेद्य अर्पण करना चाहिए। दीपक जलाने चाहिए। दीपकों को सर्वानिष्ट निवृत्ति हेतु अपने मस्तक पर घुमाकर चौराहे या श्मशान में रखना चाहिए। राजा का कर्तव्य है कि नगर में ढिंढोरा पिटवाकर दूसरे दिन बालकों को अनेक प्रकार के खेल खेलने की आज्ञा दें। बालक क्या-क्या खेल सकते हैं, इसका भी पता करना चाहिए। जैसे…

  1. यदि वे आग जलाकर खेलें और उसमें ज्वाला प्रकट न हो तो समझना चाहिए कि इस वर्ष भयंकर अकाल पड़ेगा।
  2. यदि बालक दुख प्रकट करें तो राजा को दुख तथा सुख प्रकट करने पर सुख होगा।
  3. यदि वे आपस में लड़ें तो राज-युद्ध होने की आशंका होगी।
  4. बालकों के रोने से अनावृष्टि की संभावना करनी चाहिए।
  5. यदि वे घोड़ा बनकर खेलें तो मानना चाहिए कि किसी दूसरे राज्य पर विजय होगी।
  6. यदि बालक लिंग पकड़कर क्रीड़ा करे तो व्यभिचार फैलेगा।
  7. यदि वे अन्न-जल चुराएं तो इसका अर्थ होगा कि राज्य में अकाल पड़ेगा।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsApp