चिड़ियाघर ने पहाड़ियों पर वन्यजीवों के डीएनए नमूनों को संरक्षित करने के लिए परियोजना शुरू की

चिड़ियाघर ने पहाड़ियों पर वन्यजीवों के डीएनए नमूनों को संरक्षित करने के लिए परियोजना शुरू की

चिड़ियाघर ने पहाड़ियों पर वन्यजीवों के डीएनए नमूनों को संरक्षित करने के लिए परियोजना शुरू की
Modified Date: March 24, 2025 / 07:04 pm IST
Published Date: March 24, 2025 7:04 pm IST

कोलकाता, 24 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्थित ‘पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क’ भारत का पहला चिड़ियाघर है, जो विशेष रूप से बर्फीले क्षेत्रों में पाए जाने वाले वन्यजीवों के डीएनए नमूनों को संरक्षित करता है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पहचान के लिए देशी जानवरों के 60 डीएनए नमूने पहले ही एकत्र किए जा चुके हैं।

रॉय ने बताया, “सड़क दुर्घटनाओं या कैद में मारे गए लाल पांडा, हिम तेंदुए और अन्य देशी प्रजातियों सहित जानवरों के ऊतकों को उनके डीएनए को संरक्षित करने के लिए एकत्र किया गया है।”

 ⁠

उन्होंने बताया, “हमने 2023 में इस परियोजना पर काम करना शुरू किया था और यह एक सतत प्रक्रिया है।”

हैदराबाद स्थित ‘सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी फॉर सेंटर’ के सहयोग से की गयी इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अगर ये प्रजातियां विलुप्त होती हैं, तो उनकी संरक्षित आनुवंशिक नमूने अनुसंधान और भविष्य के संरक्षण प्रयासों में सहायता कर सकते हैं।

चिड़ियाघर के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चिड़ियाघर हिमालयी क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता पर अनुसंधान जारी रखेगा।

एक अधिकारी ने बताया, “चिड़ियाघर के अंदर एक समर्पित प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जहां डीएनए नमूनों को ठंडे तापमान पर तरल नाइट्रोजन से भरे स्टील के कंटेनरों में संग्रहीत किया जाता है।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन


लेखक के बारे में