नईदिल्ली। बच्चा चोरी की समस्या इन दिनों देश में बड़ा रूप धारण करते जा रही है। ऐसे में एक आंकड़ें ने सबको हैरत में डाल दिया है। और आंकड़ा यह है कि देश में हर 8वें मिनट एक बच्चा लापता हो रहा है। इसका मतलब यह है कि 24 घंटे के अंतराल में 180 परिवार से उनके जिगर का टुकड़ा अलग हो रहा है।
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देश की राजधानी दिल्ली का हाल तो और भी बुरा है। यहां पांच साल (2012 से 2017) के अंतराल में सुरक्षा का हवाला देने वाली राष्ट्रीय राजधानी में 41,394 बच्चे गायब हो गए। कांग्रेस के नेता सुब्बारामी रेड्डी ने भी इस समस्या को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उठाया। सवाल यह कि यह क्यों हो रहा है, इसे कर कौन रहा है और इसका हल क्या किया जा रहा है, इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी सामने आयी है।
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में लापता हुए बच्चों के आंकड़ेां पर गौर किया जाए तो सिर्फ 2017 में ही 6454 बच्चे लापता हो गए। इनमें 3915 लड़कियां और 2535 लड़के थे। सबसे ज्यादा मामले उत्तर पूर्वी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली में सामने आए।
बच्चों के लापता होने के कई मामले जब पुलिस ने सुलझाए तो पता चला कि इनके गायब होने के पीछे सूनी गोद रह जाना भी एक बड़ा कारण है। जिसके कारण बच्चे चुराए जाते हैं। इस मामले में मानव तस्करी भी एक बड़ा कारण सामने आया है। एक ऐसे ही केस में पूछताछ में पता चला कि बच्चे को अगवा कर एक दुकान पर रखा गया था, जहां उससे काम कराया जा रहा था।
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इसके अलावा बच्चों को योन शोषण भी एक बड़ा कारण निकल कर आया है। क्यों कि कई ऐसे मामले देखने को मिले हैं जिसमें मासूम से कुकर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है। बाद में शव को फेंक दिया जाता है। इसके साथ ही रंजिश में भी मासूमों की बली चढ़ाई जाती है। कहीं पर बदले की भावना से किसी पुरानी रंजिश का बदला लेने के लिए मासूमों का अपहरण कर उनको मौत के घाट उतार दिया जाता है।
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