बंटवारे के दौरान परिवार से बिछड़ी महिला, 75 साल बाद पहुंची प्रेम गली, देखा अपना पुश्तैनी घर

बंटवारे के दौरान परिवार से बिछड़ी महिला, 75 साल बाद पहुंची प्रेम गली, देखा अपना पुश्तैनी घर Woman separated from postwar family, after 75 years dear Prem Gali

बंटवारे के दौरान परिवार से बिछड़ी महिला, 75 साल बाद पहुंची प्रेम गली, देखा अपना पुश्तैनी घर

Old lady reached home:

Modified Date: November 29, 2022 / 08:53 pm IST
Published Date: July 24, 2022 2:53 pm IST

Old lady reached home: पाकिस्तान। 75 साल बाद जब भारत की 92 साल की रीना वर्मा पाकिस्तान स्थित अपने पुश्तैनी घर पहुंची तो उनके पड़ोसियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। 92 साल की रीना वर्मा 1947 में बंटवारे के बाद पहली बार अपने घर पहुंची। पाकिस्तान पहुंचने पर उन्होंने भारत पाकिस्तान के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि दोनों देशों के युवाओं को सद्भाव और शांति के साथ रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों का एक ही कल्चर और एक जैसी चीजें हैं। तो ऐसे में दोनों देशों के युवाओं को मिलकर रहना चाहिए।

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Old lady reached home: आपको बता दें कि पुणे की रहने वाली रीना वर्मा अपने दिलो दिमाग में बंटवारे के ज़ख्म और दर्द को आज भी संजोए हुए रखा है। 75 साल बाद भी वे रावलपिंडी की प्रेम गली में स्थित अपने पुश्तैनी घर को भूल नहीं पाई हैं। पिछले दिनों रीना पाकिस्तान की उसी प्रेम गली पहुंच गई जहां उन्होंने बचपन के चंद वर्ष बिताए थे।

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Old lady reached home: दरअसल, पाकिस्तान का यह मरी हिल स्टेशन है और ये अपनी खूबसूरत वादियों के लिए मशहूर है। आज इन वादियों में खट्टी.मीठी याद लेकर घूम रही हैं। भारत की 92 साल की रीना वर्मा आज सबेरे रीना वर्मा मरी के पहुंची। वहां आए हुए तमाम पर्यटक उनके साथ सेल्फी लेने लगे। रीना ने बताया कि वे गर्मियों की छुट्टी में मरी आया करती थीं। रीना की पाकिस्तान यात्रा की चर्चा वहां की मीडिया में काफी चल रही है। रीना वर्मा की इस यात्रा को लेकर पाकिस्तानी पत्रकार मोहम्मद शाबान ने ट्वीट किया है।

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रीना वर्मा ने बताया कि मार्च 1947 में 15 साल की उम्र में उन्हें भाई बहनों के साथ सोलन भेज दिया गयाण् इसके बाद जुलाई 1947 में उनके माता पिता भी हालात खराब होने के कारण उनके साथ आ गए। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त 1947 को माल रोड पर तिरंगा फहरते देखने के लिए वह सोलन से शिमला 15 किलोमीटर पैदल चलकर आईं थीं।

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