तलाक-ए-हसन संबंधी याचिका के खिलाफ महिला ने न्यायालय का रुख किया

तलाक-ए-हसन संबंधी याचिका के खिलाफ महिला ने न्यायालय का रुख किया

तलाक-ए-हसन संबंधी याचिका के खिलाफ महिला ने न्यायालय का रुख किया
Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: May 16, 2022 10:23 pm IST

नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) ‘तलाक-ए-हसन’ और ‘‘एकतरफा न्यायेतर तलाक’’ के अन्य सभी रूपों को अमान्य और असंवैधानिक घोषित किए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका के खिलाफ एक महिला ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

मामले में हस्तक्षेप की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका को कुर्रत उल ऐन लतीफ ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि मूल याचिकाकर्ता को शरीयत के तहत जायज न्यायेतर तलाक से लाभ हुआ और वह अदालत के पास जाए बिना और पहले से ही लंबित न्यायिक कार्यवाहियों में इजाफा किए बिना एक खराब विवाह संबंध से बाहर निकलने में सक्षम हुई थी।

याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता माननीय अदालत को यह दिखाने के सीमित उद्देश्य से याचिका दायर कर रही है कि व्यापक रूप से इस मामले संबंधी एक रिट याचिका दिल्ली के माननीय उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसमें नोटिस जारी किया गया है।’’

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इसमें कहा गया है, ‘‘इसलिए (मूल) याचिकाकर्ता को यह सुझाव दिया जा सकता है कि वह उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी बात को रखे, जिसे इस मामले की जानकारी है। यह कहा जाता है कि यदि उच्च न्यायालय को निर्णय लेने का पहला मौका मिलता है, तो पक्षकार के पास अपील करने का मूल्यवान अधिकार बना रहता है।’’

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर ‘तलाक-ए-हसन’ और ‘‘एकतरफा न्यायेतर तलाक’’ के अन्य सभी रूपों को अमान्य और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि ‘तलाक-ए-हसन’ और इस तरह की अन्य एकतरफा न्यायेतर तलाक प्रक्रियाएं मनमानीपूर्ण और अतर्कसंगत हैं तथा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

गाजियाबाद निवासी बेनजीर हिना द्वारा दायर याचिका में केन्द्र को सभी नागरिकों के लिए तलाक के समान आधार और प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि वह ‘‘एकतरफा न्यायेतर तलाक-ए-हसन’’ का शिकार हुई है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पुलिस और अधिकारियों ने उसे बताया कि शरीयत के तहत तलाक-ए-हसन की अनुमति है।

‘तलाक-ए-हसन’ में, तीन महीने की अवधि में महीने में एक बार ‘तलाक’ कहा जाता है। तीसरे महीने में तीसरी बार ‘तलाक’ कहने के बाद तलाक को औपचारिक रूप दिया जाता है।

भाषा सिम्मी नरेश

नरेश


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