जबलपुर: ईडब्लूएस यानी सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के आरक्षण को लेकर पहले ही कई तरह के सवाल उठाये जाते रहे है। वही अब इस मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य की सरकार से कई अहम सवाल पूछे है। (Will the government take back the decision on EWS reservation quota?) यह सवाल ईडब्लूएस आरक्षण के विरोध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछे गए। यह याचिका यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस संस्था की तरफ से सिर्फ अनारक्षित वर्ग को EWS आरक्षण देने की राज्य सरकार की नीति को चुनौती देते हुए दायर की गई है। संस्था का तर्क हैं कि सभी जातीय वर्गों में गरीब वर्ग विद्यमान है। ऐसे में ईडब्लूएस आरक्षण का लाभ एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को भी हासिल होना चाहिए।
इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि, गरीबों के लिए आरक्षण में कैसे जातीय भेदभाव किया जा सकता है? हर जाति-वर्ग में होते हैं गरीब फिर सभी को EWS आरक्षण का लाभ क्यों नहीं? बता दें कि हाईकोर्ट ने 4 हफ़्तों के बाद अगली सुनवाई तय की हैं। इस तरह उच्च न्यायालय ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर इस पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए है।
गौरतलब हैं कि केंद्र सरकार ने 2019 में 103वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की है। (Will the government take back the decision on EWS reservation quota?) दो वर्ष पूर्व इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को वैध बताया था।