मुख्यमंत्री पद से दो दिन बाद इस्तीफा दे दूंगा, ‘अग्निपरीक्षा’ देने के लिए तैयार हूं : केजरीवाल

मुख्यमंत्री पद से दो दिन बाद इस्तीफा दे दूंगा, ‘अग्निपरीक्षा’ देने के लिए तैयार हूं : केजरीवाल

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  • Publish Date - September 15, 2024 / 10:40 PM IST,
    Updated On - September 15, 2024 / 10:40 PM IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दो दिन बाद पद से इस्तीफा दे देने की रविवार को घोषणा की और जनता से ‘‘ईमानदारी का प्रमाणपत्र’’ मिलने तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठने का संकल्प लेते हुए दिल्ली में समय पूर्व चुनाव कराने की मांग की।

उनकी इस अप्रत्याशित घोषणा पर विभिन्न दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई। कुछ ने उनके कामकाज पर जमानत की शर्तों के कारण इसे विवशता बताया, तो अन्य ने जनता के बीच जाने के उनके निर्णय की सराहना की।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आम आदमी पार्टी (आप) सुप्रीमो के इस कदम को ‘‘नाटक’’ और ‘‘अपराध की स्वीकारोक्ति’’ करार दिया था तथा हैरानगी जताते हुए पूछा कि क्या उन्होंने अपनी पार्टी में अंदरूनी कलह के कारण इस्तीफे की पेशकश की है।

आबकारी नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने कहा कि अगले कुछ दिन में वह आप के विधायकों की बैठक करेंगे और उनकी पार्टी के एक सहकर्मी को मुख्यमंत्री चुना जाएगा।

आप के राष्ट्रीय संयोजक अपनी पत्नी सुनीता के साथ आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के लिए यहां पार्टी मुख्यालय पहुंचे थे।

केजरीवाल ने कहा कि वह मुख्यमंत्री और मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री तभी बनेंगे, ‘‘जब लोग कहेंगे कि हम ईमानदार हैं।’’

सिसोदिया को पिछले महीने आबकारी नीति मामले में जमानत मिली थी।

केजरीवाल की इस आश्चर्यजनक घोषणा के बाद, उनकी पत्नी सुनीता और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी एवं गोपाल राय के नाम संभावित मुख्यमंत्री के रूप में चर्चा में हैं।

दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 23 फरवरी को समाप्त हो रहा है और चुनाव फरवरी की शुरुआत में होने की उम्मीद है।

केजरीवाल द्वारा दिल्ली में शीघ्र चुनाव कराने की मांग के बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली सरकार को निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर इस मांग का कारण बताना पड़ सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं दो दिन बाद इस्तीफा दे दूंगा और लोगों से पूछूंगा कि क्या मैं ईमानदार हूं। मैं जनता से अपील करना चाहता हूं कि अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार हैं तो मुझे वोट दें। अगर आपको लगता है कि केजरीवाल दोषी है तो मुझे वोट न दें। आपका हर वोट मेरी ईमानदारी का प्रमाण पत्र होगा।’’

केजरीवाल ने कहा, ‘‘दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने हैं लेकिन मैं नवंबर में महाराष्ट्र के साथ राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव कराने की मांग करता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तभी बैठूंगा, जब लोग मुझे ईमानदारी का प्रमाण पत्र देंगे। जेल से बाहर आने के बाद अग्निपरीक्षा देना चाहता हूं…जब भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद (अयोध्या) लौटे थे, तो सीता मैया को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। मैं जेल से बाहर आ गया हूं और अग्निपरीक्षा देने के लिए तैयार हूं।’’

इस बीच, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान केजरीवाल के मार्गदर्शक रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि उन्होंने आप प्रमुख से शुरू से ही कहा था कि उन्हें राजनीति में नहीं आना चाहिए, बल्कि लोगों की सेवा करनी चाहिए तथा उन्होंने दुख जताया कि ‘‘उन्होंने (केजरीवाल ने) कभी उनकी बात नहीं सुनी।’’

पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने इस्तीफे की घोषणा के पीछे की वजह बताने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘‘आप सोच रहे होंगे कि अभी तो वह जेल से छूटे हैं, फिर इस्तीफा क्यों दे रहे हैं? भाजपा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल चोर है, भ्रष्ट है, केजरीवाल ने भारत माता के साथ गद्दारी की है। लेकिन मैं यहां सत्ता से पैसे और पैसे से सत्ता का खेल खेलने नहीं आया हूं, बल्कि मैं यहां देश के लिए कुछ करने आया हूं।’’

केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा को लेकर उनकी आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘‘आप के राष्ट्रीय संयोजक की घोषणा उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने की योजना का एक हिस्सा है… अरविंद केजरीवाल ने आपदा में अवसर तलाशने में पीएचडी की है।’’

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि केजरीवाल का यह ऐलान कि वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे, उनके ‘‘अपराध की स्वीकारोक्ति’’ है। उन्होंने (केजरीवाल ने) स्वीकार किया कि उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे ऐसे हैं कि वह शीर्ष पद पर बने नहीं रह सकते।

कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का केजरीवाल का फैसला एक ‘‘राजनीतिक नाटक’’ है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय पहले ही उन पर प्रतिबंध लगा चुका है।

आप के कुछ अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल अपने सरकारी आवास से बाहर निकल जाएंगे।

पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि केजरीवाल के इस कदम से, भाजपा द्वारा उन पर ‘‘शीश महल’’ में आलीशान जीवन जीने और सरकारी वाहनों एवं सुविधाओं का आनंद उठाने संबंधी आरोपों का बोझ उतर जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले योद्धा तथा लोगों और देश के प्रति प्रतिबद्ध केजरीवाल की छवि को फिर से स्थापित करने का कदम है।’’

मुख्यमंत्री ने यहां आप कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘हमारे नेता सत्येंद्र जैन और अमानतुल्लाह खान अब भी जेल में हैं। मुझे उम्मीद है कि वे जल्द ही बाहर आ जाएंगे।’’

जेल में बिताए गए समय के बारे में केजरीवाल ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह द्वारा अंग्रेजी शासन की कैद में रहते हुए लिखे गए पत्रों का उल्लेख किया और कहा, ‘मैंने तिहाड़ से उपराज्यपाल को केवल एक पत्र लिखा और मुझे चेतावनी जारी कर दी गई।’

आप’ के एक पदाधिकारी ने कहा कि जब 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया था, तब उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्होंने कहा, ‘चूंकि वह एक पूर्व भारतीय राजस्व अधिकारी भी हैं, इसलिए वह सरकार और नौकरशाही के कामकाज को समझती हैं। अगर उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है तो पार्टी नेताओं में कोई विरोध नहीं होगा।’

पार्टी विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए आप के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष और मंत्री गोपाल राय के नाम पर भी विचार किए जाने की संभावना है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केजरीवाल के इस्तीफे के फैसले को ‘‘क्रांतिकारी’’ करार दिया और इसे उनकी ईमानदारी और जनता के प्रति प्रतिबद्धता बताया।

आप नेता संजय सिंह ने कहा कि केजरीवाल को ‘आप को खत्म करने के इरादे से गिरफ्तार किया गया था, लेकिन भाजपा इसमें विफल रही।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केजरीवाल की घोषणा से पता चलता है कि वह सत्ता के भूखे नहीं हैं और लोगों के बीच फिर से जाना चाहते हैं।

वहीं,शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों के साथ ‘‘धोखा’’ किया है और उनके इस फैसले के पीछे असली कारण उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने या किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने से मना करना है।

भाषा सुभाष प्रशांत

प्रशांत