LGBTQI Blood Donation: क्या समलैंगिकों को मिलेगा ब्लड डोनेट करने का अधिकार? इस दिन आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें पूरा विवाद…

LGBTQI donate blood? क्या समलैंगिकों को मिलेगा ब्लड डोनेट करने का अधिकार? इस दिन आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें पूरा विवाद...

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  • Publish Date - July 28, 2024 / 03:11 PM IST,
    Updated On - July 28, 2024 / 03:11 PM IST

LGBTQI donate blood? नई दिल्ली। देश में LGBTQ+ लोगों को रक्‍तदान निषेध की श्रेणी में रखा गया है। उन्‍हें इस श्रेणी से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में LGBTQ+ समुदाय ने एक याचिका दायर की है। इस याचिका में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (NBTC) और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने 2017 के नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। बता दें कि इस याचिका को शरीफ रंगनेकर ने दाखिल किया है।

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दरअसल 2017 के नियम ट्रांसजेंडर, महिला यौनकर्मियों और पुरुष के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों को रक्तदान करने और रक्तदाता होने से पूरी तरह प्रतिबंधित करते हैं। इस पर याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह का पूर्ण प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेत 14,15,17 और 21 के तहत संरक्षित समानता, सम्मान और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 30 जुलाई को सुनवाई करेगा।

क्या कहती हैं 2017 की ये गाइडलाइंस?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बता दें कि दिशानिर्देशों को ‘सबसे कम जोखिम वाले दाताओं’ से दान सुनिश्चित करने के लिए ब्‍लड ट्रांसफ्यूज़न सर्विसेस में सबसे बेहतरीन व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। मौजूदा मामले में दिशानिर्देशों के क्‍लॉज 12 और 51 को संविधान के अनुच्छेद-14, 15 और 21 का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी जा रही है।

वहीं याचिका में कहा गया है कि ये नियम ट्रांसजेंडर, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को रक्तदाताओं से बाहर कर रहे हैं। क्‍लॉज-12 रक्‍तदाता चयन मानदंड के तहत आता है। ये अनिवार्य करता है कि रक्‍तदाता एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी के लिए जोखिम की श्रेणी में ना आता हो। ये क्‍लॉज रक्‍तदाताओं को कई दूसरी बीमारियां होने पर भी रक्‍तदान से रोकता है।

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सरकार का नियमों के पक्ष में क्‍या है तर्क?

LGBTQI donate blood? सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने कहा है कि रक्तदान से ट्रांसजेंडर और समलैंगिकों को बाहर रखने का आधार वैज्ञानिक साक्ष्‍य हैं। पर्याप्त सबूत हैं कि ट्रांसजेंडर, होमोसुक्‍सुअल और महिला यौनकर्मियों को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण का सबसे ज्‍यादा खतरा रहता है। यही नहीं, हलफनामा में स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं जैसे इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ तथा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एसटीडी एंड एड्स के शोध का हवाला भी दिया गया है।

 

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