नई दिल्ली। फेसुबक ने एक अच्छी पहल की है। अब फेसबुक पर अब महिलाओं की सहमति के बिना उनकी अंतरंग तस्वीरें वायरल नहीं हो पाएंगी। मेटा ने वूमन सेफ्टी के लिए फेसबुक को StopNCII.org के साथ जोड़ा है। इसके साथ ही मेटा ने वूमन सेफ्टी हब की भी पेशकश की है। वूमन सेफ्टी हब 11 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिसमें हिन्दी भी शामिल है। इस वूमन सेफ्टी हब में महिलाएं फेसबुक पर सुरक्षित रहने के विभिन्न टिप्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकती हैं, जिसके लिए उन्हें मेटा की ओर से कई विशेष टूल भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
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मेटा प्लेटफॉर्म्स की निदेशक करुणा नैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मेटा की यह पहल सुनिश्चित करेगी कि सभी महिलाएं इस प्लेटफार्म का उपयोग कर सकें। भाषा से संबंधित किसी को भी किसी प्रकार की समस्या न हो।
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ऐसे करता है काम
StopNCII।org एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसका प्रमुख मकसद है कि प्लेटफार्म पर सहमति के बिना किसी की तस्वीरों को शेयर या वायरल होने से रोका जा सके। इस प्लेटफार्म पर पीड़ितों को बहुत सारे टूल मिलते हैं, जिसके जरिए वे अपनी समस्या की शिकायत कर सकते हैं।
जब यूजर शिकायत करेगा तो ये प्लेटफार्म एक यूनिक आईडी के माध्यम से विवादित हुए पोस्ट पर एक्शन लेगा। फेसबुक के ऑटोमेटिक टूल अपलोड की गई फोटो की स्कैनिंग करते हैं। एक बार शिकायत किए जाने के बाद ये टूल उन्हीं तस्वीरों के आधार पर बेनाम हैशेज या एक खास डिजिटल आइडेंटिफायर जेनरेट करता है। इसी डिजिटल डेटा के आधार पर टूल अपने पार्टनर प्लेटफॉर्म्स पर भी स्कैन करता है। जब भी टूल उससे मेल खाती तस्वीर देखता है तो उसे उसे ऑटोमेटिकली रिमूव कर देता है, ताकि कोई भी उसे देख न पाए।
90 प्रतिशत का रिमूवल रेट
StopNCII।org का दावा है कि महिलाओं द्वारा अब तक रिपोर्ट किए गए मामलों में इस टूल का रिमूवल रेट 90 प्रतिशत है। 2015 से लेकर अब तक 2 लाख से ज्यादा महिलाओं से जुड़ी तस्वीरों को हटाया जा चुका है। बता दें कि मेटा ने अपने प्लेटफार्म पर महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर Red Dot फाउंडेशन और सेंटर फॉर रिसर्च (CSR) के साथ भी साझेदारी की है।