‘वन्यजीव एवं संस्कृति का मिलन’ : गूगल ने डूडल के जरिए 76वां गणतंत्र दिवस मनाया

'वन्यजीव एवं संस्कृति का मिलन' : गूगल ने डूडल के जरिए 76वां गणतंत्र दिवस मनाया

  •  
  • Publish Date - January 26, 2025 / 06:51 AM IST,
    Updated On - January 26, 2025 / 06:51 AM IST

नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) ‘गूगल’ ने लद्दाखी पोशाक पहने एक हिम तेंदुए, पारंपरिक वाद्य यंत्र पकड़े एवं धोती-कुर्ता पहने एक ‘बाघ’ और भारत के विभिन्न क्षेत्रों एवं इसकी विविधता को दिखाने वाले कुछ अन्य पशु-पक्षियों को दर्शाने वाला ‘डूडल’ बनाकर अपने अंदाज में देश के 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया।

इस रंग बिरंगी कलाकृति में गूगल के छह अक्षरों को कलात्मक ढंग से थीम में इस तरह पिरोया गया है, जो ‘वन्यजीव परेड’ का आभास दे रहे हैं।

भारत 76वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में यहां रविवार को कर्तव्य पथ पर अपनी सैन्य शक्ति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करेगा।

इस वर्ष समारोहों का मुख्य आकर्षण संविधान का 75 साल पूरा होना है, लेकिन झांकियों का विषय ‘स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास’ है।

इस अवसर पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 16 झांकियां और केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और संगठनों की 15 झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। मध्य प्रदेश की झांकी में ‘प्रोजेक्ट चीता’ और कुनो राष्ट्रीय उद्यान को दर्शाया जाएगा।

गूगल की वेबसाइट पर ‘डूडल’ के विवरण में कहा गया है, ‘‘यह ‘डूडल’ भारत के 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाता है। यह दिवस राष्ट्रीय गौरव और एकता का अवसर है।’’

इस कलाकृति को पुणे के कलाकार रोहन दाहोत्रे ने बनाया है। वेबसाइट पर कहा गया है कि परेड में दिखाए गए जीव भारत के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

‘डूडल’ में लद्दाख क्षेत्र की पारंपरिक पोशाक पहने हुए एक हिम तेंदुए को दिखाया गया है जो हाथ में रिबन पकड़ कर दो पैरों पर चल रहा है। इसके बगल में बाघ दो पैरों पर खड़े होकर संगीत वाद्ययंत्र पकड़े हुए नजर आ रहा है। उड़ता हुआ एक मोर और पारंपरिक पोशाक पहने हुए एक मृग हाथ में औपचारिक छड़ी लिए हुए चल रहे हैं।

‘डूडल’ के विवरण में दाहोत्रे के हवाले से कहा गया है, ‘‘गणतंत्र दिवस भारत के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह सभी देशवासियों को एकजुट करता है और हर भारतीय में देशभक्ति की भावना जगाता है। अनगिनत भाषाओं, संस्कृतियों एवं परंपराओं समेत भारत की अद्भुत विविधता उसकी जीवंतता को दर्शाती हैं।’’

भाषा सिम्मी प्रशांत

प्रशांत