Wife sitting empty will not get compensation from husband: कर्नाटक। कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में भरण-पोषण और मुआवजे की राशि के एक मामले की सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि एक पत्नी, जो पहले नौकरी करती थी, बेकार नहीं बैठ सकती और अगल हुए पति से पूरा भरण-पोषण नहीं मांग सकती, बल्कि उसे अपनी आजीविका के लिए कुछ प्रयास करने चाहिए।
दरअसल कोर्ट एक महिला और उसके बच्चे की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सत्र अदालत ने उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें महिला को दिए जाने वाले गुजारा भत्ते को ₹10,000 से घटाकर ₹5,000 और मुआवजे को ₹3,00,000 से घटाकर ₹2,00,000 कर दिया गया था।
Wife cannot sit idle and seek entire maintenance from estranged husband; can get only supportive maintenance: Karnataka High Court
report by @whattalawyer https://t.co/1qVLTkAVkl
— Bar & Bench (@barandbench) July 4, 2023
इस मामले में, याचिकाकर्ताओं ने रखरखाव और मुआवजे का दावा करने वाले प्रतिवादी-पति के खिलाफ घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत याचिका दायर की है। प्रतिवादी-पति द्वारा याचिका का विरोध किया गया और याचिकाकर्ता नंबर 1 को 10,000/- रुपये का भरण-पोषण दिया गया और याचिकाकर्ता नंबर 2 को 5,000/- रुपये का मुआवजा दिया गया, साथ ही मानसिक पीड़ा क्षति के लिए 3,00,000/- रुपये का मुआवजा भी दिया गया।
Wife sitting empty will not get compensation from husband: इससे व्यथित होकर, उत्तरदाताओं ने विद्वान LXVI अतिरिक्त शहर सिविल एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपील दायर की और मामले की सुनवाई Crl.A.No.1392/2014 में हुई और विद्वान सत्र न्यायाधीश ने गुजारा भत्ता 10,000 रुपये से घटाकर 5000 रुपये कर दिया।/- जहां तक यह याचिकाकर्ता नंबर 1 से संबंधित है और इसने मुआवजे को 3,00,000 रुपये से घटाकर 2,00,000/- रुपये कर दिया है। इस आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता अर्थात् पत्नी और बच्चे इस न्यायालय के समक्ष हैं।