नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने शुक्रवार को कहा कि सोशल मीडिया मंच आसानी से पहचाने जा सकने वाले फर्जी सामग्री को ब्लॉक या कम से कम उन्हें चिह्नित भी नहीं कर रहे हैं तथा खुद को बचाने के लिए तथ्यों की जांच-परख का काम चुनाव निकायों पर छोड़ रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि यहां व्यापारिक हित काम कर रहे हैं।
कुमार का कहना था, ‘‘यह पहले बीमारी फैलाने और फिर दवाएं बेचने जैसा है। इसका नुकसान निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया और लोकतंत्र की शुचिता को होता है।’’
चुनाव प्रबंधन निकायों के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों को ‘‘बहुत देर हो जाने’’ से पहले आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘सोशल मीडिया मंचों पर फर्जी, असत्यापित और ऐसे भ्रामक विमर्श का साया नहीं होना चाहिए, जो बुनियादी रूप से विघटनकारी हैं।’
कुमार के अनुसार, यह सोशल मीडिया मंच के हित में है कि बहुत देर होने से पहले फर्जी चीजों का पता लगाया जाए और उसे ब्लॉक किया जाए।
उन्होंने आगाह किया, ‘‘लोकतंत्र और इस तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने वाली ताकतों की मदद नहीं होनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रबंधन निकायों को इन चुनौतियों के प्रबंधन के लिए एक रूपरेखा तैयार करनी चाहिए और उसे अपनाना चाहिए।
कुमार ने कहा कि जैसे-जैसे प्रौद्योगिकियां विकसित होंगी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कि एआई से चुनाव निकायों को मतदाता सूची को परिष्कृत करने, अनियमितताओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
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