Why can't Chandrayaan directly go to the Moon?

आखिर चंद्रयान सीधे चंद्रमा पर क्यों नहीं जाता? ये है मुख्य वजह, यहां जानें पूरी प्रक्रिया

Why can't Chandrayaan directly go to the Moon?: 14 जुलाई को ISRO ने चंद्रमा के अपने तीसरे मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है।

Edited By :   Modified Date:  July 28, 2023 / 10:23 PM IST, Published Date : July 28, 2023/10:23 pm IST

Why can’t Chandrayaan directly go to the Moon? : नई दिल्ली। 14 जुलाई को ISRO ने चंद्रमा के अपने तीसरे मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से  दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया। पृथ्वी के आर्बिट और उसके बाद चंद्रमा के आर्बिट में चक्कर लगाते हुए, आज से ठीक 41 दिन बाद चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर 24 से 25 अगस्त के बीच लैंडिंग होगी। बता दें कि चंद्रमा पृथ्वी के लगभग 5 कक्षाओं से होकर चारों ओर चक्कर लगाते हुए तेज रफ्तार से चंद्रमा की सतह की ओर आगे बढ़ रहा है।

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Why can’t Chandrayaan directly go to the Moon? : चंद्रयान 3 का मकसद चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग करना है। चंद्रयान 3 के मिशन को पूरा होने में लगभग 40 दिन का वक्त लगने वाला है। लॉन्च किए जाने के बाद से चंद्रयान 3 पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ चांद की तरफ रुख कर रहा है। दरअसल, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकलने के लिए बूस्टर या कहें शक्तिशाली रॉकेट यान की जरूरत होती है। अगर आप सीधे चांद पर जाना चाहते हैं, तो आपको बड़े और शक्तिशाली रॉकेट की जरूरत होगी। इसमें ईंधन की भी अधिक आवश्यकता होती है, जिसका सीधा असर प्रोजेक्ट के बजट पर पड़ता है। यानी अगर हम चंद्रमा की दूरी सीधे पृथ्वी से तय करेंगे तो हमें ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

 

पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने के दौरान चंद्रयान 3 सैटेलाइट में मौजूद उर्जा का इस्तेमाल कर गति को तेज करते हुए अपनी रेंज बढ़ाता जाएगा। जैसे ही चंद्रयान 3 चंद्रमा की कक्षा के निकट आएगा यह चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा। इस प्रक्रिया को टीएलआई कहा जाता है। नीचे दी गई तस्वीर के माध्यम से आप इसे समझ सकते हैं।

इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक टीएलआई की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल जाएगा और उस पथ पर अग्रसर हो जाएगा, जो उसे चंद्रमा के करीब ले जाएगा। अधिकारी के मुताबिक, दूसरे शब्दों में कहें तो एक अगस्त को टीएलआई प्रक्रिया पूरी होने के बाद यान पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल जाएगा और चंद्रमा के करीब पहुंचने के अपने सफर की शुरुआत करेगा। टीएलआई प्रक्रिया चंद्रयान-3 को ‘लूनार ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी’ (चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र) यानी चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होने के सफर पर ले जाएगी। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने की कोशिश करेगा।

 

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