Ban on Wheat Export : नई दिल्ली। भारत ने गेहूं के निर्यात पर लगा बैन हटाने से साफ इंकार कर दिया है। IMF ने भारत से गुहार लगाई थी की वो गेहूं निर्यात पर बैन हटा लें। जिसके बाद दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में भाग लेने पहुंचे वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक इंटरव्यू में कहा कि फिलहाल गेहूं के निर्यात पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाया जाएगा।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
बता दें रॉयटर्स की ओर से भारत के प्राइवेट प्लेयर्स के निर्यात को फिर से खोलने की बात को लेकर सवाल किया गया था। इसपर मंत्री पीयूष गोयल ने जवाब दिया कि अभी दुनिया में अस्थिरता का दौर है। ऐसे में अगर भारत गेहूं के निर्यात से बैन हटाता है तो काला बाजारी, जमाखोरों और सट्टेबाजों को इसका फायदा होगा। ये ना तो जरूरतमंद देशों के हित में होगा ना ही गरीब लोगों की मदद कर पाएगा।
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इसके बाद पीयूष गोयल ने कहा कि इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि सरकारी रूट के माध्यम (G2G) से ही निर्यात किया जाए। इस तरह से हम जरूरतमंद और गरीब लोगों को सस्ता गेहूं उपलब्ध करा सकेंगे। भारत के इस फैसले का मर्म समझाने के लिए उन्होने विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ संपर्क भी किया था।
Ban on Wheat Export : बता दें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जिवा ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के दौरान भारत के गेहूं निर्यात पर पाबंदी की आलोचना की थी। इसपर क्रिस्टालिना ने कहा था कि अन्य देश भी ऐसा कर सकते हैं, जिससे इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक समुदाय तैयार नहीं हो पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने भारत से इस फैसले पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करने के लिए कहा था। वहीं जी7 देशों के कृषि मंत्रियों ने भी भारत के गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कदम की आलोचना की है।
गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते गेहूं को लेकर दुनिया की निर्भरता भारत पर बढ़ी है। वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, गेहूं की कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने, देश में महंगाई को नियंत्रित रखने और लू के थपेड़ों के बीच देश में गेहूं का उत्पादन प्रभावित होने की वजह से सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 14 मई को तत्काल प्रभाव से इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी।
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