Wheat Export Ban: नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बावजूद सरकार कुछ देशों को गेहूं निर्यात करने की अनुमति दे सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई देशों ने भारत से गेहूं निर्यात को लेकर विशेष अनुरोध किया है। अन्य देशों के सिफारिश पर इस मामले में विचार करने के लिए सरकार ने खाद्य मंत्रालय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो गेहूं खरीदने के अनुरोधों पर गौर कर जल्द कोई निर्णय लेगी। इस बीच, सरकार ने दावा किया है कि गेहूं निर्यात पर पाबंदी से घरेलू बाजार में गेहूं और आटे की कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
बता दें खाद्य मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया है कि गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाने के सकारात्मक परिणाम आए हैं। घरेलू बाजार में गेहूं और आटे के दाम कम हुए हैं। इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती का असर दिखने लगा है। आवश्यक जरूरत की चीजों की कीमतों में कमी का रुझान है। इसके साथ ही खाद्य मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में कीमत और कम होगी। इसका फायदा आम लोगों को मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि गेहूं दो और आटा तीन रुपये प्रति किलो तक सस्ता हुआ है।
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मीडिया को संबोधित करते हुए खाद्य मंत्रालय के सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि सरकार के हस्तक्षेप से गेहूं के साथ चीनी, चावल एवं खाद्य तेलों की कीमतों में भी काफी गिरावट देखने को मिली है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में आटे की औसत खुदरा कीमत 0.30 प्रतिशत घटकर 33.4 रुपये प्रति किलो हो गई है। जबकि गेहूं के भाव 1 जून को 29.8 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह सरसों तेल के दाम करीब छह से आठ रुपये प्रति किलो तक कम हुए हैं। इसके साथ ही पाम ऑयल और सूरजमुखी के तेल के दामों में भी कमी दर्ज की गई हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच 13 मई को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बाद चीनी के निर्यात की सीमा को घटाकर प्रति वर्ष एक करोड़ टन कर दिया था। इसके अलावा प्रमुख खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को भी घटा दिया था। उन्होंने कहा कि चीनी का औसत खुदरा दाम 41.50 रुपये प्रति किलो है। इससे पिछले एक माह में चीनी की कीमतों में 50 पैसे प्रति किलोग्राम की कमी आई है।
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रूस और यूक्रेन दुनिया के प्रमुख गेहूं उत्पादकों में गिने जाते हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच चल रही जंग की वजह से इस साल कई दूसरे देशों में गेहूं की मांग काफी बढ़ गई है। इसके कारण रूस और यूक्रेन से गेहूं एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है। यही नहीं कई देशों में इसके उत्पादन में भी कमी आई है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के रेट में आग लगी हुई है।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने स्विट्जरलैंड के दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सम्मेलन में कहा, ‘भारत उन देशों के लिए गेहूं निर्यात (Wheat Export) की अनुमति देना जारी रखेगा, जिन्हें इसकी काफी जरूरत है, जो मित्रवत हैं और जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट है।’
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