प. बंगाल के मजदूर की मौत भूख से नहीं गुर्दे की खराबी के कारण हुई: तमिलनाडु के चिकित्सा अधिकारी

प. बंगाल के मजदूर की मौत भूख से नहीं गुर्दे की खराबी के कारण हुई: तमिलनाडु के चिकित्सा अधिकारी

  •  
  • Publish Date - October 3, 2024 / 01:49 PM IST,
    Updated On - October 3, 2024 / 01:49 PM IST

चेन्नई, तीन अक्टूबर (भाषा) रोजगार की तलाश में तमिलनाडु आए पश्चिम बंगाल के एक खेतिहर मजदूर की मौत भूख से नहीं, बल्कि गुर्दे में गंभीर खराबी के कारण हुई। यहां स्थित राजीव गांधी सरकारी जनरल अस्पताल (आरजीजीजीएच) के एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी, जहां मजदूर का इलाज हुआ था।

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मजदूर निमोनिया से पीड़ित था और उसके गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था, उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था।

चिकित्सक ने बताया कि 35 वर्षीय समर खान की एक अक्टूबर मौत हो गई। उन्होंने बताया कि मजदूर को उल्टी और दस्त की शिकायत के बाद आरजीजीजीएच में भर्ती कराया गया था। संभवत: आंत में संक्रमण और विषाक्त भोजन या पानी पीने के कारण उसे उल्टी एवं दस्त की शिकायत हुई थी।

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने बताया, ‘‘मजदूर की भूख से मौत नहीं हुई, क्योंकि यहां रेलवे स्टेशन पर करीब तीन-चार दिन रहने के दौरान मजदूरों ने मछली पकाई थी और उसे खाया था। खान को भर्ती होने के दौरान पहले से ही स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं।’’

रेलवे पुलिस ने 16 सितंबर को सरकारी अस्पताल में जिन पांच मजदूरों को भर्ती कराया था, उनमें से खान का सात बार ‘डायलिसिस’ हुआ और वह जीवनरक्षक प्रणाली (वेंटिलेटर सपोर्ट) पर था। चिकित्सा अधिकारी ने कहा, ‘‘आखिरकार निमोनिया और गुर्दे की खराबी जैसी जटिलताओं के कारण उसकी मौत हो गई।’’

उन्होंने कहा कि उसके शव को बुधवार को विमान के जरिए पूर्वी मिदनापुर जिले में उसके पैतृक स्थान पर पहुंचाया गया।

रेलवे पुलिस ने सेंट्रल स्टेशन पर पांच मजदूरों को बीमार पाया और उन्हें आरजीजीजीएच में भर्ती कराया। इनमें से चार को ठीक होने के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि समर खान की मौत हो गई।

उनके साथ बचाए गए छह अन्य मजदूरों को भी घर भेजे जाने से पहले ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के बेघरों के लिए बने केंद्र में अस्थायी रूप से आश्रय दिया गया था।

पुलिस के अनुसार, 11 मजदूर खेती-बाड़ी से संबंधित काम की तलाश में पोन्नेरी तक पैदल आए थे और बाद में जब उन्हें काम नहीं मिला तो वे सेंट्रल स्टेशन वापस आए और घर लौटने का निर्णय लिया।

एक श्रम कल्याण अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्हें आपातकालीन स्थिति में सहायता के लिए सरकारी हेल्पलाइन से संपर्क करना चाहिए था या कम से कम समय पर स्टेशन पर किसी से मदद मांगनी चाहिए थी और खुद को इस मुसीबत से बचाना चाहिए था।’’

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा