WB Anti Rape Bill Update : 21 दिन में मामले की जांच, रेपिस्ट को मौत की सजा.. सदन में आज विधेयक पेश करेगी सरकार, जानें रेप विरोधी बिल में और क्या है खास?

West Bengal Anti-Rape Bill Update: Details of punishment provisions in the new law

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  • Publish Date - September 3, 2024 / 10:48 AM IST,
    Updated On - September 3, 2024 / 10:48 AM IST

कोलकाताः West Bengal Anti-Rape Bill Update पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता रेप-मर्डर केस मामले के बाद बैकफुट पर आई ममता सरकार ने अब एंटी रेप बिल लाने जा रही है। इसके लिए आज सरकार एक विशेष सत्र बुलाया गया है। सीएम पद से इस्तीफा मांगने वाली BJP ने भी ममता सरकार की तरफ से प्रस्तावित एंटी रेप बिल को समर्थन देने का फैसला किया है। इस बिल में अपराधियों के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। तो चलिए एक-एक समझते हैं कि इस बिल में आखिकार क्या-क्या सजा के प्रावधान किए गए हैं:-

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West Bengal Anti-Rape Bill Update कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पीजी ट्रेनी लेडी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद पश्चिम बंगाल की सरकार यह बिल ला रही है। इस बिल में किसी भी बलात्कार के लिए आजीवन कारावास या मृत्यु दंड की सजा होगी। दो बलात्कार की गंभीरता पर निर्भर करेगी। अगर पीड़िता जीवित है, तो भी आजीवन कारावास दिया जाएगा। अगर पीड़िता मर जाती है या बिस्तर पर पड़ जाती है तो मृत्यु दंड दिया जाएगा। मुकदमा चलाकर अपराधी को दोषी ठहराने का काम तय समय में पूरा होगा। बलात्कार और हत्या के मामलों में, इसमें मृत्युदंड के अलावा अपराधी के परिवार पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा।

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15 दिनों के भीतर फैसला

इस बिल में फैसला कम से कम समय में दिए जाने का भी प्रस्ताव है। जिसमें पर्याप्त, निर्णायक सूबतों वाले मामलों में अपराध की तारीख से 15 दिनों के भीतर फैसला सुनाए जाने का प्रावधान है। इसी तरह आंध्र प्रदेश सरकार ने एक विधेयक 2019 में भी पेश किया था, जिसमें 21 दिनों के भीतर फैसला दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन यह मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास पड़ा हुआ है। जबकि निर्भया अधिनियम, 2013 और आपराधिक संशोधन अधिनियम, 2018 के तहत फैसला रेप के मामले में फैसला देने का मौजूदा समय चार महीने है। जिसमें दो महीने जांच के लिए और दो महीने मुकदमे के लिए तय किए गए हैं।

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नए बिल में कई खास बातें

पश्चिम बंगाल के राज्य के कानून विभाग के एक सूत्र ने कहा कि इस विधेयक में कुछ अनूठी विशेषताएं हैं। यह पहली बार है कि बलात्कार की घटना को हत्या के मामले के रूप में माना जाएगा और कानून के प्रावधानों के अनुसार मुकदमा चलाया जाएगा। दूसरा, बलात्कार या बलात्कार और हत्या के सभी मामलों की सुनवाई फास्ट-ट्रैक अदालतों में होनी चाहिए। विधेयक में यह अनिवार्य किया गया है कि अपराध की सूचना देने के छह घंटे के भीतर पीड़िता की मेडिकल जांच कराई जानी चाहिए और आरोपी को गिरफ्तारी के तुरंत बाद मेडिकल जांच करानी चाहिए।

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पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए स्पेशल यूनिटों को कई संसाधनो से किया लैस

इस विधेयक में “जांच में तेजी लाने और पीड़ितों के लिए तत्काल न्याय दिलाने के लिए स्पेशल कोर्ट और इन्वेस्टिंगेशन टीम की स्थापना की जाएगी। इस अपराजिता टास्क फोर्स की यूनिटों को महिलाओं के साथ रेप और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों को प्रभावी ढंग से और समय पर संभालने के लिए जरूरी संसाधनों से लैस किया जाएगा। जिससे पीड़ितों और उनके परिवारों द्वारा अनुभव किए जाने वाले परेशानी को कम किया जा सके।

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