WEF ने जारी की वैश्विक सूची, प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन

WEF ने जारी की वैश्विक सूची, प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत का निराशाजनक प्रदर्शन

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  • Publish Date - October 9, 2019 / 01:50 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:02 PM IST

नई दिल्ली। विश्व आर्थिक मंच यानि डब्ल्यूईएफ की ओर से जारी वर्ल्ड कॉम्पीटेटिव इंडेक्स में भारत को इस साल 68वां स्थान मिला है। वहीं अमेरिका को सिंगापुर ने पछाड़ दिया है। अब पहली स्थान पर सिंगापुर आ गया है। ब्रिक्स देशों में ब्राजील का प्रदर्शन भी गिरा है। WEF ने 141 देशों पर बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि भारत के प्रदर्शन में गिरावट दर्ज की गई है। ब्रिक्स देशों में भारत का प्रदर्शन ब्राजील (71वें पायदान) के बाद सबसे खराब रहा है। बीते साल 2018 की बात की जाए तो भारत के समकक्ष रहे कोलंबिया, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की जैसे देशों ने साल 2019 में काफी अच्छा प्रदर्शन किया, इस वजह से भी भारत की रैंकिंग को नुकसान हुआ है।

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साल 2018-19 के दौरान भारत में सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी की रफ्तार काफी धीमी रही। चिकित्सा- स्वास्थ्य के क्षेत्र की खराब स्थिति और स्वस्थ जीवन संभावना की गिरती दर ने भारत के प्रदर्शन को प्रभावित किया है। बता देंकि देश में स्वस्थ और बेहतर लाइफ की संभावना मामले में भारत का स्थान 109वां रहा। यह अफ्रीका के बाहर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है।

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विश्व आर्थिक मंच यानि डब्ल्यूईएफ की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लैंगिक असमानता अभी भी काफी ज्यादा है और पुरुष कामगारों के मुकाबले महिलाओं का अनुपात महज 0.26 है। इस मामले में भारत 128वें पायदान पर रहा है। कॉम्पीटेटिव इंडेक्स में में भारत के बाद अन्य पड़ोसी देश श्रीलंका 84वें, बांग्लादेश 105वें, नेपाल 108वें ओर पाकिस्तान 110वें स्थान पर रहा। चीन 28वें स्थान पर है। इस बार सिंगापुर ने अमेरिका को हटाकर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया। तीसरे पर हांगकांग, चौथे पर नीदरलैंड और पांचवें पर स्विट्जरलैंड रहा।

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WEF ने कहा है कि वृहद आर्थिक स्थिरता और बाजार की स्थिति में भारत की स्थिति और रैंकिंग अच्छी है। भारत का वित्तीय क्षेत्र भी स्थिर है, लेकिन ऋण चूक की दर अधिक होने से बैंकिंग प्रणाली प्रभावित हुई है। इस सूचकांक में भारत कंपनी संचालन के मामले में 15वें, शेयरधारक संचालन में दूसरे और बाजार आकार व अक्षय ऊर्जा नियमन में तीसरे पायदान पर रहा है।

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