वायनाड लोकसभा उपचुनाव में रहा है बाहरी लोगों का दबदबा

वायनाड लोकसभा उपचुनाव में रहा है बाहरी लोगों का दबदबा

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  • Publish Date - November 8, 2024 / 03:44 PM IST,
    Updated On - November 8, 2024 / 03:44 PM IST

(अरुण माधवन)

वायनाड (केरल), आठ नवंबर (भाषा) केरल में राज्य के बाहर के नेताओं को लोकसभा सांसद के रूप में चुनने का इतिहास रहा है, जिसमें वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी भी हैं और अगर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में उनकी बहन प्रियंका गांधी को जीत मिलती है तो वह भी इस सूची में शामिल हो सकती हैं।

राहुल गांधी के अलावा राज्य के बाहर के कई नेताओं ने केरल से सांसद के रूप में कार्य किया है।

इनमें तमिलनाडु से मुहम्मद इस्माइल, महाराष्ट्र से जीएम बनातवाला और कर्नाटक से इब्राहिम सुलेमान सैत भी ऐसे ही नेता हैं। ये सभी दक्षिणी राज्य से कई बार आईयूएमएल के सांसद चुने गए।

दिलचस्प बात यह है कि अगले सप्ताह होने वाले चुनावों में भी कई ‘बाहरी’ उम्मीदवार शामिल हैं।

इनमें तमिलनाडु से ‘इलेक्शन किंग’ के पद्मराजन भी शामिल हैं। वह 200 से अधिक बार चुनावी जंग में असफल हो चुके हैं। वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं।

गुजरात के जयेंद्र के राठौड़ भी पहाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरे 11 उम्मीदवारों में शामिल हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव में गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

केरल में चुनाव लड़ने वाले बाहरी उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हो गयी हैं और वह पहली बार चुनावी मैदान में हैं।

वायनाड उपचुनाव में अन्य बाहरी उम्मीदवारों में तमिलनाडु के निर्दलीय ए नूर मुहम्मद, उत्तर प्रदेश से किसान मजदूर बेरोजगार संघ के गोपाल स्वरूप गांधी और तमिलनाडु से बहुजन द्रविड़ पार्टी की ए सीता शामिल हैं।

इसके अलावा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे बाहरी उम्मीदवारों में कर्नाटक के इस्माइल जबी उल्लाह, उत्तर प्रदेश से निर्दलीय सोनू सिंह यादव, आंध्र प्रदेश से नवरंग कांग्रेस पार्टी के शेख जलील, तेलंगाना से जातीय जन सेना पार्टी के दुग्गिराला नागेश्वर राव और कर्नाटक से एक अन्य निर्दलीय रुक्मिणी भी दौड़ में हैं।

सीपीआई के सत्यन मोकेरी और भाजपा की नव्या हरिदास उम्मीदवार हैं।

निर्दलीय उम्मीदवार आर राजन एकमात्र ऐसे उम्मीदवार हैं जो केरल निवासी हैं। हालांकि 63 वर्षीय कलपेट्टा निवासी ने कहा कि वह अब प्रियंका गांधी की जीत के लिए काम कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपना नामांकन क्यों दाखिल किया तो उन्होंने कहा, ‘मैं अभी उस मामले का खुलासा नहीं करना चाहता।’

केरल के बाहर के कई उम्मीदवार और उनकी संबद्ध पार्टियां वायनाड के मतदाताओं के लिए काफी हद तक अपरिचित हैं, जिन्हें लगता है कि उनमें से अधिकांश केवल हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार प्रियंका गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने का श्रेय लेने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

तमिलनाडु से 65 वर्षीय स्वतंत्र उम्मीदवार के. पद्मराजन का दावा है कि उन्होंने 245 चुनाव लड़े हैं, जिनमें छह चुनाव राष्ट्रपति पद के लिए और छह चुनाव उपराष्ट्रपति पद के लिए लड़े हैं।

उन्होंने कहा, ‘मैंने चार प्रधानमंत्रियों के खिलाफ चुनाव लड़ा है: 2014 में वडोदरा में नरेंद्र मोदी, लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी, 1996 में पी वी नरसिम्हा राव और राज्यसभा चुनाव में मनमोहन सिंह के खिलाफ।’

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि केरल में बाहरी उम्मीदवारों का लंबा इतिहास रहा है। राहुल के अलावा, राज्य के बाहर के कई नेता केरल से सांसद रह चुके हैं।

मुस्लिम लीग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद इस्माइल केरल में सीट जीतने वाले पहले बाहरी व्यक्ति थे, जिन्होंने 1962 में मंजेरी का प्रतिनिधित्व किया था। उनके बाद सुलेमान सैत ने 1967 और 1991 के बीच कोझिकोड, मंजेरी और पोन्नानी का प्रतिनिधित्व किया। वह 1960 से 1966 तक केरल से राज्यसभा सदस्य भी रहे।

भाषा

शुभम नरेश

नरेश