Somnath Mandir: क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी सोमनाथ मंदिर का हुआ था पुर्ननिर्माण? जानें नेहरू ने किस बात का किया था विरोध

Somnath temple rebuilt: क्या प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी सोमनाथ मंदिर का हुआ था पुर्ननिर्माण? जानें नेहरू ने किस बात का किया था विरोध

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  • Publish Date - January 16, 2024 / 06:32 PM IST,
    Updated On - January 16, 2024 / 06:32 PM IST

Somnath temple rebuilt: अयोध्या। रामभक्तों का इंतजार अब जल्द ही खत्म होने वाला है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। वैसे ही सोशल मीडिया पर इसे एक मुद्दा बनाकर चर्चा और बहस किया जा रहा है। कोई बोल रहा है कि अधूरे बने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करना सही है तो कोई बोल रहा है कि मंदिर को तोड़कर इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है।

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प्राचीन सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण

इस सवाल को कई लोग धार्मिक विधि विधान से जोड़कर भी देख देख रहे हैं और कह रहे हैं कि अधूरे बने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करना परंपराओं के खिलाफ होगा। लेकिन यह पहली बार नहीं हो रहा है कि किसी अधूरे निर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही हो। वहीं राम मंदिर के साथ ही अब प्राचीन सोमनाथ मंदिर को भी लेकर बहस छिड़ गई है।

जानकारी के मुताबिक बता दें कि आजादी के बाद प्राचीन सोमनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण किया गया था। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 11 मई 1951 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे। यह कार्यक्रम जब आयोजित किया गया था तब तक मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ था।

कई चरणों में हुआ सोमनाथ मंदिर का निर्माण

सोमनाथ की आधिकारिक वेबसाइट से भी इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है कि नया सोमनाथ मंदिर कई चरणों में बनाया गया है। नए मंदिर के तीन मुख्य भाग थे- 1-शिखर, 2-सभामंडप और 3-नृत्यमंडप। इनमें से पहले दो हिस्सों का निर्माण 7 मई 1965 को पूरा हुआ। पूर्णतः पुनर्निर्मित मंदिर 1 दिसंबर 1995 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया।

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सोमनाथ मंदिर कहां है और कब बना था?

Somnath temple rebuilt: सोमनाथ मन्दिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बन्दरगाह में स्थित एक अत्यन्त प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मन्दिर है। इसे भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। सोमनाथ ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार, यह मंदिर कपिला, हिरण और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है। सोमनाथ मंदिर का समय 649 ईसा पूर्व से पता लगाया जा सकता है लेकिन माना जाता है कि यह उससे भी पुराना है।

 

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