MSP था, MSP है और MSP रहेगा, PM मोदी ने कहा- आंदोलन खत्म करें किसान, कांग्रेस को याद दिलाया पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कथन

MSP था, MSP है और MSP रहेगा, PM मोदी ने कहा- आंदोलन खत्म करें किसान, कांग्रेस को याद दिलाया पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कथन

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  • Publish Date - February 8, 2021 / 09:32 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:53 PM IST

नई दिल्ली । पीएम मोदी ने आज राज्यसभा में किसान आंदोलन को लेकर किसानों को साधने की भी कोशिश की वहीं उन्होंने विपक्ष सहित कथित किसान नेताओं को आड़े हाथों भी लिया। किसानोंं की आशंकाओं को खत्म करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि MSP था, MSP है और MSP रहेगा, किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए।

कृषि कानूनों पर पीएम मोदी ने कहा कि सदन में सिर्फ आंदोलन की बात हुई है, सुधारों को लेकर चर्चा नहीं की गई। पीएम मोदी ने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को कृषि में सुधारों की जरुरत महसूस हुई , तब उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन वो पीछे नहीं हटे थे। तब वामपंथी वाले कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट बताते थे, आज मुझे ही वो गाली दे रहे हैं। पीएम ने कहा कि कोई भी कानून आया हो, कुछ वक्त के बाद सुधार होते ही हैं।  PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि बुजुर्ग लोग भी आंदोलन पर बैठे हैं, उन्हें घर जाना चाहिए। आंदोलन खत्म करें और चर्चा आगे चलती रहे।

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पीएम मोदी ने कहा कि किसानों के साथ लगातार बात की जा रही है. पीएम मोदी ने किसानों को भरोसा दिलाया कि MSP है, था और रहेगा। हम मंडियों को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने भी कृषि सुधारों की बात की है, शरद पवार ने अभी भी सुधारों का विरोध नहीं किया, हमें जो अच्छा लगा वो किया आगे भी सुधार करते रहेंगे।  मनमोहन सिंह जी ने किसान को उपज बेचने की आज़ादी दिलाने, भारत को एक कृषि बाज़ार दिलाने के संबंध में अपना इरादा व्यक्त किया था और वो काम हम कर रहे हैं। आप लोगों को गर्व होना चाहिए कि देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है।

राज्य सभा में मौजूद पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की तरफ इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पहले मनमोहन सिंह जी भी कह चुके हैं, ‘हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो’, पीएम मोदी ने कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए। पीएम मोदी ने कहा कि दूध का काम करने वाले, पशुपालन वाले, सफल का काम करने वालों के पास खुली छूट है।  लेकिन किसानों को ये छूट नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि आज विपक्ष यू-टर्न कर रहा है, क्योंकि राजनीति हावी है।
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पीएम मोदी ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है ‘आंदोलनजीवी’। वकील, छात्रों, मजदूरों के आंदोलन में ये लोग नज़र आते हैं। ये पूरी एक टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं। कुछ लोग खासकर पंजाब के सिख भाईयों के दिमाग में गलत चीजें भरने में लगे हैं, ये देश हर सिख के लिए गर्व करता है। कुछ लोग उनके लिए जो भाषा बोलते हैं, उनको गुमराह करने की कोशिश करते हैं इससे कभी देश का भला नहीं होगा।

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पीएम मोदी ने कहा कि भारत अस्थिर, अशांत रहे इसके लिए कुछ लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं हमें इन लोगों को जानना होगा। हम ये न भूलें कि जब बंटवारा हुआ तो सबसे ज़्यादा पंजाब को भुगतना पड़ा, जब 1984 के दंगे हुए सबसे ज़्यादा आंसू पंजाब के बहे। जो लोग उछल-उछल कर राजनीतिक बयानबाज़ी करते हैं, उनके राज्य में जब उनको मौका मिला उन्होंने इसमें से आधा-अधूरा कुछ न कुछ किया है।

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मोदी ने कहा कि दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। पशुपालकों जैसी आज़ादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए।

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शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया। अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता। अब तक 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपये किसान के खाते में भेजे गये हैं।

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कोरोना काल में दुनिया में लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं लेकिन भारत में रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। तथ्य बता रहे हैं कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का अनुमान लगा रही है। हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है। ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है। यहां लोकतंत्र को लेकर काफी उपदेश दिए गए हैं। मैं नहीं मानता कि जो बातें बताई गई हैं देश का कोई भी नागरिक उन पर भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं, ऐसी गलती हम न करें।

सोशल मीडिया पर देखा होगा फुटपाथ पर छोटी झोपड़ी लगाकर बैठी एक बुढ़ी मां अपनी झोपड़ी के बाहर दीया जलाकर भारत के शुभ के लिए कामना कर रही है। हम उसका मजाक उड़ा रहे हैं, उस भावना का मखौल उड़ा रहे हैं! विरोध करने के लिए कितने मुद्दे हैं। भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई।

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हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये एक प्रेरक अवसर है। हम जहां हों, मां भारती की संतान के रूप में आज़ादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए। अच्छा होता कि राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। लेकिन राष्ट्रपति जी के भाषण की ताकत इतनी थी कि न सुनने के बाद भी बात पहुंच गई।