नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल बृहस्पतिवार को अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ा दिया।
समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक संबंधी संसद की संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का समय बजट सत्र, 2025 के आखिरी दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया, जिसे ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की गई।
पाल के नेतृत्व में बुधवार को हुई समिति की बैठक में सदस्यों ने इस संदर्भ में एक प्रस्ताव पर सर्वसम्मति व्यक्त की थी।
बैठक में एक प्रस्ताव के माध्यम से निर्णय लिया गया कि समिति लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह करेगी कि उसका कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाया जाए।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद और समिति के सदस्य कल्याण बनर्जी ने कहा कि कार्यकाल बढ़ने से सभी सबंधित लोगों और समूहों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।
समिति की अब तक हो चुकीं 25 से अधिक बैठकों में कई मौकों पर पाल और विपक्षी सदस्यों के बीच गतिरोध देखने को मिला है।
विपक्षी सदस्यों ने पाल पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप लगाया था जिसका भाजपा सांसद ने खंडन किया था।
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।
इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव रखा गया है, जिनमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है।
विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, विधेयक में यह तय करने की बोर्ड की शक्तियों से संबंधित मौजूदा कानून की धारा 40 को हटाने का प्रावधान है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं।
यह संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड की व्यापक आधार वाली संरचना प्रदान करता है और ऐसे निकायों में मुस्लिम महिलाओं तथा गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
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