(आलोक सिंह)
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) दिल्ली में पिछले नौ दिनों में 100 से अधिक स्कूलों को मिली बम से उड़ाने की धमकियों के कारण जहां अव्यवस्था का माहौल है, वहीं पुलिस तथा विशेषज्ञों ने कहा कि ‘वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क’ (वीपीएन) और ‘प्रॉक्सी सर्वर’ इस समस्या से निपटने में मुख्य बाधा है, तथा इन सेवाओं से जानकारी प्राप्त करने के लिए कानूनी प्रावधान अपर्याप्त है।
इस साल मई से ईमेल के जरिए मिली 50 से अधिक बम धमकियों में न केवल दिल्ली के स्कूलों को बल्कि अस्पतालों, हवाई अड्डों और विमानन कंपनियों को भी निशाना बनाया गया लेकिन पुलिस को इन मामलों में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी बुधवार को स्कूलों को मिली बम की धमकियों पर चिंता जताई थी और अपराधी को पकड़ने में पुलिस की विफलता पर सवाल उठाए थे।
वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने धमकी देने वालों के आईपी एड्रेस हासिल करने के लिए गूगल, वीके (जिसे ‘मेलडॉटआरयू’ के नाम से जाना जाता है) और ‘आउटलुकडॉटकॉम’ जैसे सेवा प्रदाताओं को पत्र लिखा है।
कुछ मामलों में, पुलिस को जवाब मिले हैं लेकिन वे सटीक स्रोत का पता नहीं लगा पाए हैं। दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से इंटरपोल की सहायता भी मांगी है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमारी जांच जारी है। हम धमकी भेजने वाले के स्रोत का पता लगाने पर काम कर रहे हैं। हालांकि, उनके सर्वर या डोमेन यूरोपीय या मध्य पूर्वी देशों में पाए गए हैं, लेकिन वास्तविक स्रोत की पुष्टि नहीं हुई है, क्योंकि ‘वीपीएन’ या ‘प्रॉक्सी सर्वर’ का उपयोग करके ईमेल भेजे गए थे।’’
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की एक इकाई को बम धमकी के मामलों की जांच का काम सौंपा गया है।
पिछले नौ दिनों में दिल्ली के कई स्कूलों को ईमेल जरिए बम से उड़ाने की धमकियां मिलीं, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने तलाश अभियान भी चलाया।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हालांकि अब तक किसी भी धमकी के बाद ली गई तलाशी में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है, लेकिन हम किसी भी धमकी को हल्के में नहीं ले सकते। प्रत्येक संदेश को गंभीरता से लिया गया और सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए गहन जांच की गई।’’
अधिकारी ने आगे बताया कि वीपीएन नेटवर्क इंटरनेट पर एक वेब की तरह काम करते हैं, जहां मूल स्रोत सीधे अपने सर्वर से जुड़ा नहीं होता है।
साइबर कानून विशेषज्ञ एवं उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता डॉ. पवन दुग्गल ने कहा कि समस्या यह है कि भारत में वीपीएन के उपयोग को विनियमित करने के लिए कोई समर्पित कानून नहीं है।
दुग्गल ने कहा, ‘‘हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा एक और 75 में देश से बाहर जांच करने का अधिकार है लेकिन हकीकत यह है कि विदेश से संचालित वीपीएन सेवा प्रदाताओं के खिलाफ इस अधिकार का इस्तेमाल भारत नहीं कर सकता।’’
भाषा खारी रंजन
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