गोमूत्र के औषधीय गुण बता रहे आईआईटी मद्रास के निदेशक कामकोटि का वीडियो वायरल

गोमूत्र के औषधीय गुण बता रहे आईआईटी मद्रास के निदेशक कामकोटि का वीडियो वायरल

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  • Publish Date - January 19, 2025 / 06:12 PM IST,
    Updated On - January 19, 2025 / 06:12 PM IST

चेन्नई, 19 जनवरी (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें वह गोमूत्र के ‘औषधीय गुणों’ की कथित तौर पर सराहना करते देखे जा सकते हैं।

वह गायों की देशी नस्ल की रक्षा करने और जैविक खेती अपनाने के महत्व पर बोल रहे थे।

कामकोटि ने यहां मट्टू पोंगल (15 जनवरी 2025) के दिन ‘गो संरक्षण शाला’ में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने यह टिप्पणी एक संन्यासी के जीवन से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए की, जिसने तेज बुखार होने पर गोमूत्र का सेवन किया और ठीक हो गया था।

निदेशक ने कथित तौर पर गोमूत्र के ‘‘एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और पाचन सुधार गुणों’’ के बारे में बात की और कहा कि यह बड़ी आंत से संबंधित बीमारी ‘इरिटेबल बाउल सिंड्रोम’ जैसी समस्याओं के लिए उपयोगी है तथा इसके ‘‘औषधीय गुण’’ पर विचार करने की हिमायत की।

उन्होंने जैविक खेती के महत्व और कृषि तथा समग्र अर्थव्यवस्था में मवेशियों की स्वदेशी नस्लों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए यह टिप्पणी की।

तर्कवादी संगठन द्रविड़ कषगम ने गोमूत्र संबंधी उनकी टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि यह सच्चाई के खिलाफ है और ‘‘शर्मनाक’’ है।

द्रमुक नेता टीकेएस एलंगोवन ने कामकोटि की टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की मंशा देश में शिक्षा को ‘खराब’ करने की है।

थानथई पेरियार द्रविड़ कषगम के नेता के. रामकृष्णन ने कहा कि कामकोटि को अपने दावे के लिए सबूत देना चाहिए या माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अगर उन्होंने माफी नहीं मांगी तो हम उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे।’’

कांग्रेस नेता कार्ति पी. चिदंबरम ने कामकोटि की टिप्पणी की निंदा की और कहा, ‘‘आईआईटी मद्रास के निदेशक द्वारा इस तरह की बात का प्रचार किया जाना अनुचित है।’’

आईआईटी के निदेशक ने गायों की रक्षा के लिए ‘गो संरक्षण’ पर जोर देते हुए कहा कि इसके आर्थिक, पोषण संबंधी और पर्यावरणीय लाभ हैं। कामकोटि ने कहा, ‘‘अगर हम उर्वरकों का उपयोग करते हैं तो हम भूमि माता (धरती) को भूल सकते हैं। हम जितनी जल्दी जैविक, प्राकृतिक खेती अपनाएंगे, उतना ही हमारे लिए अच्छा है।’’

आईआईटी-मद्रास के शीर्ष प्राध्यापक ने आरोप लगाया कि ब्रिटिश शासन भारत को गुलाम बनाने के लिए अर्थव्यवस्था की बुनियादी चीज देशी गायों को खत्म करने के पक्ष में थे।

कामकोटि के करीबी सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने गोशाला कार्यक्रम में अपनी बात रखी, लेकिन वह खुद भी ‘जैविक खेती करने वाले किसान’ हैं और उनकी टिप्पणियां व्यापक संदर्भ में थीं।

प्रोफेसर कामकोटि ने 17 जनवरी 2022 को आईआईटी-मद्रास के निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें डीआरडीओ अकादमी उत्कृष्टता पुरस्कार (2013) समेत अन्य पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष