बरेली, 20 दिसंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में प्रशासन ने श्री गंगा जी महारानी मंदिर से जुड़े भूमि विवाद की जांच शुक्रवार को शुरू कर दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यह जांच कटघर इलाके में स्थित मंदिर समिति के उन दावों के बाद शुरू की गई, जिसमें मंदिर की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किये जाने का दावा किया जा रहा था।
जिलाधिकारी रवींद्र कुमार ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, साथ ही कब्जेदार वाहिद अली और उनके परिवार को सात दिन के भीतर संपत्ति खाली करने का निर्देश दिया है।
वाहिद अली ने हालांकि परिसर खाली करने के लिए आठ महीने का समय मांगा। इस बीच, व्यवस्था बनाए रखने के लिए मंदिर के आसपास का इलाका पुलिस की निगरानी में है।
कुमार ने बताया, ‘‘जांच में जमीन का मालिकाना हक और उसकी धार्मिक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। जांच अधिकारियों को जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतिम निर्णय जांच के निष्कर्षों पर निर्भर करेगा।
बरेली के उप-खंड अधिकारी (एसडीएम) सदर गोविंद मौर्य ने संवाददाताओं को बताया कि नगर निगम और जमीन पर मालिकाना हक जताने वाले व्यक्तियों से दस्तावेज मांगे गए हैं।
उन्होंने बताया कि इमारत का संपत्ति कर नगर निगम में जमा कराया जा रहा है ऐसे में उसके पास मौजूद रिकॉर्ड भूमि की कानूनी स्थिति निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होंगे।
मौर्य ने बताया कि इन रिकॉर्ड की गहनता जांच के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
बरेली के किला क्षेत्र स्थित कटघर इलाके में स्थानीय निवासियों ने 250 वर्ष पुराने गंगा महारानी मंदिर की जमीन पर कब्जा किए जाने का आरोप लगाया था, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया था।
स्थानीय निवासी राकेश सिंह ने दावा किया कि उनके पूर्वजों ने करीब 250 वर्ष पहले मंदिर का निर्माण कराया था।
सिंह ने दावा किया कि यह भूमि आधिकारिक तौर पर 1905 में मंदिर के नाम पर पंजीकृत कराई गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि वाहिद अली और उनके परिवार ने शुरू में सहकारी समिति दौली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति लिमिटेड का हिस्सा होने की आड़ में मंदिर की इमारत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया।
सिंह ने यह भी दावा किया कि कब्जे के कारण मंदिर की मूर्ति हटा दी गई और पूजा बंद कर दी गई।
अली ने हालांकि इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि वह सहकारी समिति के चौकीदार के तौर पर पिछले 40 वर्षों से परिसर में रह रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सहकारिता विभाग के अधिकारी बकाया वेतन देने से बचने के लिए उन्हें कर्मचारी मानने से इनकार कर रहे हैं।
‘दौली रघुवर दयाल साधन सहकारी समिति’ के सचिव विकास शर्मा के अनुसार, समिति ने इमारत के दो कमरों को किराए पर लिया था लेकिन फरवरी 2022 में सरकारी इमारत बनने पर इन कमरों को खाली कर दिया गया।
शर्मा ने आरोप लगाया कि वहां चौकीदार के तौर पर रह रहे वाहिद अली को भी वहां से चले जाने को कहा गया लेकिन वह नहीं गया।
नायब तहसीलदार, सहकारी समिति के अधिकारियों और किला थाना के पुलिसकर्मियों की एक टीम ने शुक्रवार को जांच के लिए मौके का मुआयना किया।
नायब तहसीलदार बृजेश सिंह ने मंदिर पर कथित रूप से कब्जा किए जाने के संबंध में शिकायत दर्ज कराने की पुष्टि की।
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों और दावेदार राकेश सिंह का बयान लेकर जांच की जा रही है तथा सभी साक्ष्यों की समीक्षा के बाद अधिकारियों को अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
हिंदू संगठन से जुड़े पंकज पाठक ने चेतावनी दी कि अगर पुलिस संपत्ति को खाली नहीं करवा पाती है तो वे विरोध-प्रदर्शन और भूख हड़ताल करेंगे।
पाठक ने कहा, ‘‘अगर अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हम यहां विरोध प्रदर्शन करेंगे और मंदिर को उसके सही स्थान पर फिर से स्थापित करने की मांग करेंगे।’’
उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस मुद्दे का समाधान किया जाएगा।
भाषा सं जफर खारी जितेंद्र
जितेंद्र