अमेरिका ने S-400 डिफेंस सिस्टम को लेकर तुर्की पर लगाया प्रतिबंध, भारत के प्रति कैसा रहेगा US का बर्ताव ?

अमेरिका ने S-400 डिफेंस सिस्टम को लेकर तुर्की पर लगाया प्रतिबंध, भारत के प्रति कैसा रहेगा US का बर्ताव ?

  •  
  • Publish Date - December 15, 2020 / 08:39 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

वॉशिंगटन। अमेरिका ने तुर्की पर बड़ा एक्शन लिया है। ट्रंप ने रूसी S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही अन्य देशों को भी आगाह किया है कि रूस के साथ ऐसी डील करने से बचेंष। इस नए विवाद को अब जो बाइडेन को सुलझाना होगा, जो 20 जनवरी को शपथ लेने जा रहे हैं। अमेरिका की इस कार्रवाई से यह सवाल खड़ा हो गया है कि भारत के प्रति उसका रुख क्या होगा? क्योंकि रूसी मिसाइल सिस्‍टम की इच्‍छा रखने वालों में भारत भी शामिल है।

पढ़ें- आम आदमी पार्टी 2022 में होने वाला उत्तर प्रदेश विधा…

S-400 की खासियत ?
रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। जमीन से हवा में मार करने वाला यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पहले ही पता लगा सकता है। S-400 एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को 400 किलोमीटर पहले नष्ट कर सकता है। S-400 अत्‍या‍धुनिक रडारों से लैस है और 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है। सैटेलाइट से कनेक्‍ट रहने की वजह से जरूरी सिग्‍नल और जानकारियां तुरंत ही मिल जाती हैं। खास बात यह है कि ये सिस्‍टम एक साथ 36 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है और इसे पांच मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है।

पढ़ें- इस वर्ष नहीं बुलाया जाएगा संसद का शीतकालीन सत्र, का…

अमेरिकी सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि तुर्की ने नियमों का उल्लंघन किया, जिसकी वजह से उस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया के अन्य देश (CAATSA) के सेक्शन 231 का पालन करेंगे। साथ ही अमेरिका ने यह भी कहा है कि बाकी देशों को रूसी डिफेंस सिस्‍टम से बचना चाहिए, जो प्रतिबंध की वजह बन सकता है।

पढ़ें- ‘बघेल राज’ बदलाव के 2 साल: विकास की नई इबारत लिख रह..

भारत ने 2018 में रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की पांच यूनिट के लिए 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा किया था। अमेरिका की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए नई दिल्ली ने यह कदम उठाया था। हालांकि, मोदी सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर काफी हद तक ये मामला सुलझा लिया था, लेकिन अब राष्ट्रपति भवन से जाते-जाते ट्रंप ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाकर विवाद को फिर से तूल दे दिया है। ऐसे में अब सबकुछ जो बाइडेन पर निर्भर करता है और उसी के अनुरूप भारत को अपनी रणनीति तैयार करनी होगी।

पढ़ें- ‘बघेल राज’ बदलाव के 2 साल: विकास की नई इबारत लिख रह..

अमेरिका चाहता है कि भारत रक्षा खरीद के मामले में रूस को तवज्जो न दे। डोनाल्ड ट्रंप कई मौकों पर यह इच्छा जाहिर कर चुके हैं। इसके पीछे वह हथियारों की होड़ का हवाला देते हैं, लेकिन उन्होंने खुद भारत के साथ कई रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं। 2019 में भारत यात्रा के दौरान ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार सौदे की घोषणा की थी। इस सौदे में 24 सिकोरस्की MH-60R सी हॉक मल्टी रोल हेलीकॉप्टर, छह बोइंग AH-64E अपाचे गार्डियन अटैक हेलीकॉप्टर शामिल हैं।