दिल्ली सरकार से अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं का विस्तार रोकने का आग्रह

दिल्ली सरकार से अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन परियोजनाओं का विस्तार रोकने का आग्रह

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  • Publish Date - October 26, 2024 / 05:42 PM IST,
    Updated On - October 26, 2024 / 05:42 PM IST

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) नागरिक समाज समूहों (सीएसओ) ने दिल्ली सरकार से अपने उस प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है, जिसके तहत शहर में उत्पादित 100 प्रतिशत ठोस कचरे को जलाकर ऊर्जा पैदा करने की योजना है।

शुक्रवार को जारी बयान के मुताबिक, सीएसओ ने दिल्ली सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें दिल्ली/राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में ठोस कचरे को जलाकर ऊर्जा पैदा करने संबंधी परियोजनाओं का और विस्तार न करने का आग्रह किया गया है।

बयान में जोर देकर कहा गया है कि जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘खराब’ श्रेणी में हो, तब क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत कचरे को जलाकर ऊर्जा पैदा करने का कार्य रोक देना चाहिए।

इसमें कचरा प्रबंधन में प्रणालीगत बदलावों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, जिसमें स्थानीय उपनियमों का प्रभावी प्रवर्तन, अपशिष्ट न्यूनीकरण, स्रोत पृथक्करण और गैर-अनुपालन के लिए कठोर सजा शामिल है।

बयान के अनुसार, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 21 अक्टूबर को जीआरएपी के दूसरे चरण को लागू किया, जिसके तहत धूल में कमी लाने के लिए पानी का छिड़काव बढ़ाने, पटाखों पर प्रतिबंध, पार्किंग शुल्क में वृद्धि और सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में सुधार जैसे उपाय किए गए हैं।

इसमें दावा किया गया है कि इन प्रयासों के बावजूद शहर में ठोस कचरे को जलाकर ऊर्जा पैदा करने वाले चार मौजूदा संयंत्रों में रोजाना 7,250 टन कचरे को जलाया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है।

बयान में कहा गया है, “यहां तक ​​कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी गई सीएसआईआर-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान की हालिया रिपोर्ट में भी इस तकनीक और समुदाय एवं पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभावों के खिलाफ चेतावनी दी गई है।”

इसमें कहा गया है, “एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में हर तीन में से एक बच्चे को फेफड़ों से संबंधित समस्याएं हैं। हालांकि, 2027 तक रोजाना अतिरिक्त 6,000 टन मिश्रित कचरे को जलाने की योजना है, जिससे उस समय तक दिल्ली में प्रतिदिन जलाए जाने वाले कचरे की मात्रा लगभग 13,300 टन हो जाएगी।”

भाषा पारुल माधव

माधव