नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को कानपुर में क्रोमियम कचरे के अवैध भंडारण के कारण पर्यावरण को हुयी क्षति के लिए कपड़ा एवं रासायनिक इकाइयों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि 14 साल पहले जब पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन शुरू हुआ, यूपीपीसीबी कार्रवाई करने में नाकाम रहा, तब विलंबित कार्रवाई पर कोई पूर्ण रोक नहीं थी।
पीठ ने कहा कि प्रभावित पीड़ितों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निष्क्रियता के कारण इतनी भारी क्षति नहीं होनी चाहिए कि उसकी भरपाई ही न की जा सके। पर्यावरण और लोक स्वास्थ्य को लगातार नुकसान पहुंचाने को लेकर पूर्ण जिम्मेदारी की अनदेखी नहीं की जा सकती। पीठ ने कहा कि इस सिद्धांत को लागू किया जाना चाहिए कि ‘‘प्रदूषण फैलाने वाला भुगतान करे’’ ।
पीठ ने कहा कि कानपुर देहात में क्रोमियम कचरे को डाले जाने से पर्यावरण और लोक स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है। उसने कहा कि ऐसे खतरनाक कचरे को रखने के जिम्मेदार लोग अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते। खतरनाक कचरे के कारण भूमिगत जल दूषित हो गया है।
पीठ ने कहा कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपीलकर्ताओं को उचित अवसर देने के बाद तीन महीने की अवधि के अंदर जवाबदेही का निर्धारण करना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं किया जाता है तब तक कठोर कदम नहीं उठाए जा सकते हैं।
एनजीटी कुछ औद्योगिक इकाइयों द्वारा दायर की गयी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।
भाषा
अविनाश नरेश
नरेश