अल्ट्रासाउंड सेंटर ने बरती लापरवाही, अब बच्चें के माता-पिता को देगा 1.25 करोड़ रुपए, जाने क्या है मामला

Ultrasound center has been negligent :  मेडिकल लापरवाही के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है।

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  • Publish Date - June 2, 2022 / 11:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:59 PM IST

नई दिल्ली : Ultrasound center has been negligent :  मेडिकल लापरवाही के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। आयोग ने अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग और इमेजिंग सेंटर को विकलांग बच्चे और उसके माता-पिता को 1.25 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने यह फैसला क्यों सुनाया आइए जानते हैं।

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नागपुर का है पूरा मामला

Ultrasound center has been negligent :   यह पूरा मामला महाराष्ट्र के नागपुर स्थित अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग और इमेजिंग सेंटर का है। इस सेंटर को आयोग ने गर्भावस्था के दौरान चार मौकों पर अल्ट्रासाउंड की गलत रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस रिपोर्ट के चलते जन्मजात विसंगतियों वाले बच्चे का जन्म हुआ। इस मामले में आयोग ने विकलांग बच्चे और उसके माता-पिता को 1.25 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश सुनाया है।

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आयोग ने क्लिनिक को ठहराया जिम्मेदार

Ultrasound center has been negligent :   आयोग ने माना कि सेंटर शुरुआती दिनों में समस्या का निदान करने में विफल रहा है और अल्ट्रासोनोलॉजी सेंटर गर्भपात कराने की पेशकश करने में भी विफल रहा है। नवजात शिशु के उंगलियों में दिक्कत थी और पैरों में समस्या थी। नागपुर में क्लिनिक एक रेडियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप घिक चला रहे थे। 17-18 सप्ताह में भ्रूण की संरचनात्मक विसंगतियों का पता लगाने में विफलता के लिए रेडियोलॉजिस्ट और उनके क्लिनिक को जिम्मेदार ठहरा गया है।

दो सदस्यीय खंडपीठ में हुई सुनवाई

Ultrasound center has been negligent :   इस पुरे मामले में एनसीडीआरसी की दो सदस्यीय खंडपीठ में सुनवाई हुई है, जिसमें जस्टिस आर के अग्रवाल और डॉ एस एम कांतिकर शामिल हैं। उन्होंने क्लीनिक को बच्चे के कल्याण के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए कहा है, ताकि भविष्य में उसके लिए कृत्रिम अंग खरीदे जा सकें।

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फिक्स डिपॉजिट में रखी जाएगी राशि

Ultrasound center has been negligent :   आयोग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘राशि किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में बच्चे के वयस्क होने तक फिक्स डिपॉजिट (एफडी) के रूप में रखी जाएगी। माता-पिता अपने बच्चे की नियमित स्वास्थ्य जांच, उपचार और कल्याण के लिए FD पर समय-समय पर ब्याज प्राप्त कर सकते हैं।’ आयोग ने रेडियोलॉजिस्ट और क्लिनिक को कानूनी खर्च के लिए 1 लाख रुपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।

बच्चें के माता-पिता ने लगाए थे आरोप

Ultrasound center has been negligent :   आयोग के आदेश के अनुसार, अक्टूबर 2006 में एक गर्भवती महिला ने स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ से सलाह ली। अगले महीने डॉक्टर ने महिला को पेल्विस के अल्ट्रासोनोग्राफी (यूएसजी) के लिए इमेजिंग प्वाइंट को रेफर कर दिया। यूएसजी में बच्चे को सामान्य बताया गया था। अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग सेंटर की ओर से तीन और अल्ट्रासाउंड किए गए। सभी यूएसजी की रिपोर्ट में “भ्रूण के सिर के पेट और रीढ़ में कोई स्पष्ट जन्मजात विसंगतियां नहीं” होने का दावा किया गया था, लेकिन जब स्त्री रोग विशेषज्ञ ने सिजेरियन से बच्चे को डिलीवर करवाया तो “गंभीर रूप से विकृत नवजात” को देखकर मां और सभी चौंक गए थे।

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बच्चे के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि यह सब रेडियोलॉजिस्ट के कारण हुआ है, जिन्होंने लापरवाही से अल्ट्रासाउंड किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि गर्भावस्था के 12-14 सप्ताह के दौरान विसंगति का पता लगाना संभव था, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट दूसरे, तीसरे और चौथे यूएसजी के दौरान विसंगतियों का पता लगाने में विफल रहा।