यूजीसी को नियमों में बदलाव का प्रस्ताव लाने से पहले राज्य सरकारों से बातचीत करनी चाहिए थी: सुधाकर

यूजीसी को नियमों में बदलाव का प्रस्ताव लाने से पहले राज्य सरकारों से बातचीत करनी चाहिए थी: सुधाकर

  •  
  • Publish Date - January 15, 2025 / 03:19 PM IST,
    Updated On - January 15, 2025 / 03:19 PM IST

बेंगलुरु, 15 जनवरी (भाषा) कर्नाटक के मंत्री एम. सी. सुधाकर ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विनियम-2025 के हाल ही में प्रकाशित मसौदे को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है।

सुधाकर ने कहा है कि यूजीसी को किसी भी बदलाव का प्रस्ताव करने से पहले राज्य सरकारों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति तथा पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं तथा उच्च शिक्षा विनियमों में मानकों के रखरखाव के उपायों के लिए अपने मसौदे पर सार्वजनिक परामर्श का आह्वान किया था।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, मसौदा दिशानिर्देशों का उद्देश्य विश्वविद्यालयों को अपने संस्थानों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति में लचीलापन प्रदान करना है।

कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री सुधाकर ने 13 जनवरी को लिखे पत्र में कहा कि राज्य सरकार कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित कुछ प्रावधानों का कड़ा विरोध करती है। इन प्रावधानों को लेकर उन्होंने कहा कि ये (प्रावधान) उच्च शिक्षा प्रणाली और राज्य सरकार की शक्तियों पर प्रहार हैं।

मंत्री के अनुसार, मसौदा दिशानिर्देशों में प्रावधान किया गया है कि विश्वविद्यालय के कुलपति के चयन में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

मंत्री ने कहा, ‘‘दिशानिर्देशों में कुलाधिपति/विजिटर द्वारा नियुक्त एक खोजबीन-सह-चयन समिति का प्रावधान है, जिसमें राज्य सरकार का कोई नामित सदस्य नहीं होगा। इस समिति द्वारा अनुशंसित पैनल में से कुलपति की नियुक्ति करने का अधिकार केवल कुलाधिपति/विजिटर को दिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि कुलपति की नियुक्ति के लिए आवश्यक योग्यता पर भी गंभीरता से विचार-विमर्श की आवश्यकता है, क्योंकि मसौदा नियमावली में इस पद के लिए गैर-शिक्षाविदों की नियुक्ति पर भी विचार किया जा सकता है। मंत्री ने कहा कि मसौदे के अनुसार, यदि कुलपति की नियुक्ति इन दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं की जाती है, तो नियुक्ति अमान्य हो जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह राज्य में विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करने वाले कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करेगा, जिसमें कुलपतियों के कार्यकाल और पुनर्नियुक्ति से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।’’

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में उच्च शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि यूजीसी को मौजूदा दिशा-निर्देशों में किसी भी आमूलचूल परिवर्तन का प्रस्ताव करने से पहले राज्य सरकारों के साथ बातचीत करनी चाहिए थी।

उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से आग्रह किया कि यूजीसी को मसौदा दिशा-निर्देशों को तुरंत वापस लेने और राज्य सरकारों के साथ व्यापक परामर्श करने के निर्देश दिए जाएं।

भाषा खारी सुरेश

सुरेश