यूसीसी: धर्म गुरुओं के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता हर ‘लिव इन’ पंजीकरण में नहीं

यूसीसी: धर्म गुरुओं के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता हर ‘लिव इन’ पंजीकरण में नहीं

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  • Publish Date - January 30, 2025 / 11:13 PM IST,
    Updated On - January 30, 2025 / 11:13 PM IST

देहरादून, 30 जनवरी (भाषा) उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के क्रियान्वयन के लिए नियमावली बनाने वाली समिति के एक सदस्य ने बृहस्पतिवार को साफ किया कि ‘लिव इन’ (सहवासी) संबंधों के पंजीकरण के लिए धर्म गुरूओं के प्रमाणपत्र की आवश्यकता केवल उन मामलों में होगी जिनमें युगल के बीच पहले से ही संहिता की अनुसूची-1 में परिभाषित निषिद्ध श्रेणी का रिश्ता हो।

यूसीसी नियमावली समिति के सदस्य मनु गौड़ ने कहा, ‘‘कुछ मीडिया रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि प्रत्येक ‘लिव इन रिलेशनशिप’ पंजीकरण के लिए धर्म गुरुओं का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। ऐसा सिर्फ उन मामलों में करना होगा, जिनमें युगल में पहले से कोई ऐसा रिश्ता हो जिनमें विवाह निषिद्ध है। ऐसे रिश्तों का उल्लेख संहिता की अनुसूची-1 में स्पष्ट किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर उत्तराखंड में ऐसे रिश्तों में विवाह करने वाले लोग बहुत कम हैं। इससे साफ है कि उत्तराखंड में यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण में एक प्रतिशत से कम मामलों में ऐसे प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ेगी।

गौड़ ने कहा कि इसके साथ ही जिन समाजों में निषिद्ध श्रेणी के रिश्तों में विवाह होता है, वहां भी धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर वे अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इस तरह इसका उद्देश्य किसी के भी पंजीकरण को रोकने के बजाय, उस पंजीकरण में सहायता प्रदान करना है।

गौड़ के मुताबिक, धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र के प्रारूप को भी संहिता में स्पष्ट तौर पर बताया गया है।

उन्होंने बताया कि यूसीसी के तहत लिव इन पंजीकरण के समय सिर्फ निवास, जन्म तिथि, आधार और किराएदारी के मामले में उससे संबंधित दस्तावेज ही प्रस्तुत करने होंगे।

गौड़ ने कहा कि इसके अलावा जिन लोगों का पहले तलाक हो चुका है उन्हें विवाह खत्म होने का कानूनी आदेश प्रस्तुत करना होगा। साथ ही, जिनके जीवन साथी की मृत्यु हो चुकी है या जिनका पूर्व में लिव इन रिलेशनशिप समाप्त हो चुका है, उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज पंजीकरण के समय देने होंगे।

गौड़ ने बताया कि यूसीसी के तहत उत्तराखंड में एक साल से रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करवा सकता है और इस समयावधि का मूल निवास या स्थायी निवास से कोई संबंध नहीं है । उन्होंने कहा कि यदि यह सिर्फ मूल और स्थायी निवासी पर ही लागू होता तो अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते।

भाषा दीप्ति शफीक

शफीक