जम्मू, 11 दिसंबर (भाषा) अवैध रूप से बसे प्रवासियों को बिजली और पानी उपलब्ध कराया जाए या नहीं इसे लेकर हो रही बहस के बीच संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के दो सदस्यीय दल ने यहां एक झुग्गी बस्ती में रोहिंग्या मुसलमानों से मुलाकात की।
एक अधिकारी ने बुधवार को बताया कि वरिष्ठ संरक्षण अधिकारी तोमोको फुकुमुरा ने संरक्षण सहयोगी रागिनी त्राक्रू जुत्शी के साथ सोमवार को नरवाल के किरयानी तालाब क्षेत्र में रोहिंग्या मुसलमानों तथा कुछ स्थानीय लोगों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि टीम के प्रमुख बुधवार शाम को दिल्ली लौट जाएंगे। उन्होंने बताया कि पुलिस के कुछ अधिकारियों से मिलने का उनका प्रयास विफल हो गया है।
जम्मू कश्मीर के जल शक्ति मंत्री जावेद अहमद राणा ने सात दिसंबर को कहा था कि प्रवासियों को वापस भेजने के संबंध में केंद्र सरकार का निर्णय आने तक, उनकी झुग्गियों में पानी की आपूर्ति बंद नहीं की जाएगी।
राणा का यह बयान जम्मू के नरवाल क्षेत्र में तीन भूखंडों पर रह रहे रोहिंग्याओं के उस दावे के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि यूएनएचसीआर में पंजीकृत होने के बावजूद हाल ही में उनकी बिजली और पानी की आपूर्ति काट दी गई।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दो दिन बाद कहा कि केंद्र को जम्मू में बसे रोहिंग्याओं के बारे में फैसला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें भूख या ठंड से मरने नहीं दिया जा सकता।
अब्दुल्ला ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘यह एक मानवीय मुद्दा है और केंद्र सरकार को रोहिंग्याओं के बारे में फैसला करना चाहिए। अगर आप उन्हें वापस भेज सकते हैं, तो उन्हें वापस भेजें और नहीं भेज सकते, तो हम उन्हें भूखा नहीं मरने दे सकते है। उन्हें ठंड से मरने नहीं दिया जा सकता।’’
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रोहिंग्याओं तथा बांग्लादेशी नागरिकों को जम्मू में बसाने को एक बड़ी “राजनीतिक साजिश” बताया और उन्हें शहर में लाने एवं बसाने में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की मांग की।
विस्थापितों को पानी और बिजली कनेक्शन देने को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि ऐसा उन्हें बचाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि वे एक ‘विशेष समुदाय’ से ताल्लुक रखते हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जम्मू समेत जम्मू-कश्मीर के अन्य जिलों में 13,700 से अधिक विदेशी बसे हुए हैं, जिनमें से अधिकतर रोहिंग्या एवं बांग्लादेशी नागरिक हैं।
दक्षिण जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय शर्मा ने 25 नवंबर को कहा कि जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार पुलिस को सूचना दिए बिना रोहिंग्याओं और अन्य लोगों को अपनी संपत्तियां किराए पर देने वाले मकान मालिकों के खिलाफ एक बड़े अभियान में 18 प्राथमिकियां दर्ज की गईं।
भाषा यासिर प्रशांत
प्रशांत
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