मंगलुरु, आठ मई (भाषा) ‘तुलु’ के प्रसिद्ध साहित्यकार, लोकगीत लेखक और उपन्यासकार पी. रामकृष्ण आचार का यहां मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
रामकृष्ण आचार का बीती रात दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। आचार के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है।
आचार के निधन पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के नेताओं के साथ अनेक लोगों ने शोक प्रकट किया।
भाजपा के वरिष्ठ नेता कैप्टन गणेश कार्णिक ने आचार को ‘तुलु’ साहित्य का बड़ा विद्वान बताते हुए कहा कि उनके निधन से तुलु के अध्ययन एवं शोध के कार्य को बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस के मंगलुरु प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडूराव ने भी आचार के निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है।
पी. रामकृष्ण आचार तुलु साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी रहे थे। आचार की तुलु कविताएं, लघु कथाएं, नाटक, और समीक्षाएं लोगों में चर्चा का विषय रहीं।
उन्होंने ‘तुलुनाद’ की विरासत के बारे में शोध किया और लोककथाओं पर अनुसंधान कर उनके संरक्षण में बड़ा योगदान दिया।
उन्होंने 1830 के दशक में केदमबाड़ी रामेगौड़ा के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ लड़े गए पहले स्वतंत्रता संग्राम ‘तुलुनाद’ को लोगों के सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
आचार ने कर्नाटक तुलु साहित्य अकादमी के अध्यक्ष के तौर पर ‘तुलुनाड’ की लोककथाओं के अध्ययन और शोध को प्रोत्साहित किया।
आचार कन्नड़ संघ, तुलु संघ, यक्षगान संघ और सामुदायिक संघ के वरिष्ठ सदस्य रहे और तुलु भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया।
उनके कविता संग्रहों में किरण, मेलुकादिद्गा, अजाके, दुनिपु, पाचेकुरल, तुलु संस्कृति के पोलाबु, नागा बर्मेर आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
भाषा इन्दु जितेंद्र
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