आदिवासी संगठन ने वन (संरक्षण) संशोधन कानून लागू करने का किया विरोध

आदिवासी संगठन ने वन (संरक्षण) संशोधन कानून लागू करने का किया विरोध

आदिवासी संगठन ने वन (संरक्षण) संशोधन कानून लागू करने का किया विरोध
Modified Date: October 6, 2023 / 09:02 pm IST
Published Date: October 6, 2023 9:02 pm IST

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन का विरोध करते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि इसका आदिवासियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023 को 26 जुलाई को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था। राज्यसभा ने इस विधेयक को दो अगस्त को पारित कर दिया था और चार अगस्त को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी।

इस कानून का मकसद वनों के संरक्षण के साथ ही विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना और लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना है।

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रांची की आदिवासी समन्वय समिति भारत के समन्वयक देव कुमार धान ने कहा कि इसके सदस्यों ने आदिवासी समुदाय से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘‘जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया’’।

समिति ने एक बयान में समान नागरिक संहिता से संबंधित मुद्दों को उठाया और मणिपुर की स्थिति तथा वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम पर चिंता व्यक्त की।

धान ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों को लागू नहीं किया जाना चाहिए और आरोप लगाया कि इसका आदिवासियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

समिति का कार्यालय झारखंड के रांची में है। इसके सदस्यों में झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मणिपुर और ओडिशा जैसे राज्यों के आदिवासी लोग शामिल हैं।

भाषा देवेंद्र माधव

माधव


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