कश्मीर में भारी हिमपात के बीच फंसे पर्यटकों को मस्जिद में मिला आश्रय

कश्मीर में भारी हिमपात के बीच फंसे पर्यटकों को मस्जिद में मिला आश्रय

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  • Publish Date - December 28, 2024 / 07:42 PM IST,
    Updated On - December 28, 2024 / 07:42 PM IST

श्रीनगर, 28 दिसंबर (भाषा) श्रीनगर-सोनमर्ग राजमार्ग पर गुंड के स्थानीय लोगों ने भारी हिमपात के कारण फंसे यात्रियों के एक समूह को आश्रय देने के लिए एक मस्जिद के दरवाजे खोल दिए।

अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को सोनमर्ग क्षेत्र से लौटते समय पंजाब के 10 से अधिक पर्यटकों के वाहन हिमपात के कारण फंस गए।

अधिकारियों ने बताया कि आस-पास कोई होटल नहीं था और स्थानीय मकान काफी छोटे थे, जहां समूह का ठहरना मुश्किल था, इसलिए गुंड के निवासियों ने जामिया मस्जिद के दरवाजे खोल दिए, जिससे पर्यटक रात भर वहीं रुक सके।

स्थानीय निवासी बशीर अहमद ने कहा, “यह सबसे अच्छा संभव समाधान था क्योंकि मस्जिद में एक हमाम है, जो पूरी रात गर्म रहता है।”

गुंड में स्थित जामिया मस्जिद, गगनगीर के उस स्थान से 10 किलोमीटर से कम दूरी पर स्थित है, जहां इस वर्ष अक्टूबर में हुए आतंकवादी हमले में पांच प्रवासी मजदूरों और एक स्थानीय चिकित्सक समेत छह लोगों की मौत हो गई थी।

मस्जिद के अंदर रात बिताने वाले पर्यटकों का एक वीडियो वायरल हो गया है।

पर्यटकों ने मदद के लिए स्थानीय लोगों का आभार व्यक्त किया। उनमें से एक ने कहा, “हम बर्फ में फंस गए थे और आप हमारी मदद के लिए आए। हम आप सभी के बहुत आभारी हैं।”

एक अन्य पर्यटक ने कहा, ‘कश्मीर की मेहमाननवाजी का अनुभव करने के लिए हर किसी को यहां आना चाहिए। यहां हर कोई दयालु है और यहां आना सुरक्षित है। कृपया धरती के इस स्वर्ग में आएं।”

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने इस कदम की प्रशंसा की और कहा कि भारी बर्फबारी के बीच फंसे पर्यटकों के लिए कश्मीरियों द्वारा अपनी मस्जिद और घरों को खोलते देखना उत्साहजनक है।

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “गर्मजोशी और मानवता का यह भाव आतिथ्य और जरूरत के समय दूसरों की मदद करने की हमारी लंबे समय से चली आ रही परंपरा को दर्शाता है।”

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने भी फंसे हुए पर्यटकों के लिए स्थानीय लोगों द्वारा किए गए ‘मानवीय’ व्यवहार की प्रशंसा की।

मुफ्ती ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘गांदरबल में फंसे पर्यटकों को कल रात एक मस्जिद में अप्रत्याशित लेकिन गर्मजोशी से भरा आश्रय मिला। कश्मीरी न केवल इंसान हैं, बल्कि मानवतावादी भी हैं।”

भाषा जोहेब दिलीप

दिलीप