कोलकाता: Touching victim’s breast नाबालिग से रेप के मामले में सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी युवक को पॉक्सो एक्ट के की धारा 8 के तहत सही दोषी करार दिया। बता दें कि कोर्ट का यह फैसला 2017 के एक मामले के सिलसिले में आया है। 13 वर्षीय बच्ची की मां की शिकायत के आधार पर एक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया था।
Touching victim’s breast मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यौन उत्पीड़न पीड़िता के स्तन विकसित नहीं होने पर भी अपराध को यौन हमला माना जाएगा, अगर यह साबित हो जाता है कि आरोपी ने यौन इरादे से शरीर के विशेष हिस्से को छुआ था। आरोप है कि जब पीड़िता के घर में कोई नहीं था तो आरोपी ने उसे गलत तरीके से छुआ, उसके चेहरे पर किस किया। कार्यवाही के दौरान आरोपी ने कहा कि पीड़िता के स्तनों को छूने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि मामले के चिकित्सा अधिकारी ने बयान दिया था कि लड़की के स्तन विकसित नहीं हुए थे।
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न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने कहा, “यह बिल्कुल महत्वहीन है कि 13 साल की लड़की के स्तन विकसित हुए या नहीं। 13 साल की लड़की के शरीर के विशिष्ट हिस्से को स्तन कहा जाएगा… भले ही कुछ चिकित्सकीय कारणों से उसके स्तन विकसित नहीं होते हैं। किसी बच्चे के लिंग, योनि, गुदा या स्तनों को छूना या बच्चे को यौन इरादे से छूना यौन उत्पीड़न का अपराध है।”
यह पूछे जाने पर कि 13 साल की लड़की को चूमने वाले आदमी के पीछे की मंशा क्या हो सकती है… अदालत ने कहा, “मौजूदा मामले में पीड़ित लड़की ने कहा है कि आरोपी ने उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों को छुआ और उसे चूमा भी। एक बड़ा आदमी जो पीड़ित लड़की से संबंधित नहीं है, उसे उसके घर में चूमने के लिए क्यों जाना चाहिए, जबकि उसके अभिभावक मौजूद नहीं थे। आरोपी के विशिष्ट संपर्क और आसपास की परिस्थितियों से किसी व्यक्ति के यौन इरादे का पता लगाया जा सकता है।”
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कोर्ट ने कहा कि यौन इरादे का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता है। मौजूदा मामले में शिकायतकर्ता के घर में उसके और उसके पति की अनुपस्थिति में प्रवेश करना, पीड़ित लड़की के शरीर को छूना और उसे चूमना यह दर्शाता है कि आरोपी का यौन इरादा था। इसलिए आरोपी को पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 के तहत सही दोषी ठहराया गया था।”
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