बेटी होने का दंश: छात्रा की दोनों किडनी फेल, माता—पिता ने किडनी देने से किया इनकार, ऐसे में सामने आया एक फरिश्ता

बेटी होने का दंश: छात्रा की दोनों किडनी फेल, माता—पिता ने किडनी देने से किया इनकार, ऐसे में सामने आया एक फरिश्ता

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  • Publish Date - July 28, 2019 / 01:21 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:24 PM IST

पटना। बिहार के शेखपुरा में एक बेटी जिंदगी और मौत के बीच पड़ी है। छात्रा कंचन कुमारी की दोनों किडनी फेल हो चुकी है। इस छात्रा की जिंदगी बच सके इसके लिए किडनी की आवश्यकता है। लेकिन शायद बेटी होने का दंश यह छात्रा भी अपनी जिंदगी देकर चुकाएगी। क्यों कि इसके माता पिता दोनों ने ही इसलिए अपनी किडनी नही देना चाहते क्यों कि ये एक बेटी है न कि बेटा।

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समाज में हर कोई बेटियों से नफरत नही करता यह साबित किया है एक शख्स ने। जिसने कंचन को किडनी दान करने का फैसला किया। अब कंचन की जीने की आस बढ़ गई है। शेखपुरा की छात्रा कंचन इस वर्ष मैट्रिक की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई करना चाहती है। जब कंचन को पता चला कि उसकी दोनों किडनी खराब हैं और ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रहेगी तो कंचन ने पिता से जिंदा रहने की गुहार लगाई। लेकिन पिता किडनी नहीं देना चाहते हैं।

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पीड़िता के पिता रामेश्वर प्रसाद का कहना है, ‘लड़की है, इसे अपनी किडनी कौन देगा। इसमें बहुत खर्च होगा, हम गरीब हैं, गरीबी के कारण उसका इलाज कराने में भी हम असमर्थ हैं।’कहा जाता है कि जिसका कोई नहीं होता, उसका खुदा होता है। यही स्थिति कंचन के मामले में समाने आयी। जब मां और पिता ने किडनी देने से हाथ खड़ा कर दिया तो एक फरिश्ता मिला, जिसका नाम है गौतम प्रसाद। नगर के गिरहिन्डा मोहल्ले में रहने वाले गौतम प्रसाद को जब पता चला कि कंचन आगे पढ़ना चाहती है तो वो अपनी किडनी कंचन को दान देने के लिए सदर अस्पताल पहुंच गया।

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किडनी दानकर्ता गौतम प्रसाद ने बताया कि उसके बेटे की मौत कैंसर से हो गई थी। जब उसने अखबार में पढ़ा कि एक बच्ची की दोनों किडनी फेल हो गई हैं तो बच्ची के लिए किडनी दान करने का फैसला किया। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक शरदचन्द्र ने गौतम के प्रयास की सराहना की और कहा कि स्वास्थ्य विभाग कंचन कुमारी को पूरा सहयोग करेगा। वहीं जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम निर्मल कुमार ने कहा कि गौतम की कोशिश से एक बच्ची को नई जिंदगी मिलने वाली है। यह समाज के लिए एक बेहतर संदेश होगा।

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