नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरते हुए राज्यसभा में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस और माकपा ने दो टूक शब्दों में कहा कि संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा में मणिपुर को हाशिये पर डाल देना ठीक नहीं है।
‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर राज्यसभा में हो रही चर्चा के दूसरे दिन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटॉस ने कहा ‘‘संविधान की 75 साल की यात्रा बेहद गौरवान्वित करने वाली है। लेकिन इसे संविधान की 65 साल की यात्रा कहना बेहतर होगा क्योंकि इस सरकार ने हमेशा यह बताने का प्रयास किया कि 65 साल तक तो देश में कोई विकास हुआ ही नहीं, जो कुछ भी विकास हुआ, वह इस सरकार के दस साल में ही हुआ।’’
ब्रिटॉस ने कहा कि लोकतंत्र विश्वास के आधार पर चलता है और संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास जरूरी है। उन्होंने सवाल किया कि कैग, चुनाव आयोग से लेकर संसद और मीडिया तक… क्या आज देश में विश्वास कहीं नजर आता है ?
उन्होंने कहा ‘‘केवल एक ही व्यक्ति को सरकार इन सबके लिए जिम्मेदार ठहराती है और वह हैं जवाहरलाल नेहरू।’’
ब्रिटॉस ने तंज करते हुए कहा ‘‘पिछली बार एक चर्चा में अपनी बात रखते हुए मैंने गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया था कि नेहरू के लिए एक मंत्रालय बना दिया जाए ताकि एक मंत्री उनकी भूलों को सुधारते रहे।’’
उन्होंने कहा ‘‘सरकार कब तक हर समस्या के लिए जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराती रहेगी ? आपने क्या किया है ?’’
माकपा सदस्य ने कहा कि आज देश में अघोषित आपातकाल है। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह तक अमेरिकी उद्योगपति जार्ज सोरोस के मुद्दे पर संसद को चलने नहीं दिया गया और यह सत्ता पक्ष की ओर से हुआ।
ब्रिटॉस ने कहा कि अगर देश में बाहरी हस्तक्षेप के तौर पर 95 साल के सोरोस की कोई भूमिका है तो जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति क्यों नहीं बनाई जाती। ‘‘पता करें कि जनता कर देती है और सोरोस के संगठन को कितना पैसा दिया गया। सरकार को कार्रवाई करने से किसने रोका है?’’
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर के अपमान की बात करने वाले यह क्यों नहीं देखते कि लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने के बजाय मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया। उन्होंने पूछा कि मुरली मनोहर जोशी का क्या हुआ?
ब्रिटॉस ने कहा ‘‘मैं सत्ता पक्ष से पूछना चाहता हूं कि उम्र के जिस नियम को आधार बना कर आडवाणी और जोशी को मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया, क्या वह नियम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी लागू होगा क्योंकि वह 74 साल के हो चुके हैं।’’
माकपा सदस्य ने कहा ‘‘दूसरे सदन में प्रधानमंत्री ने दस मंत्र बताते हुए खुद कहा है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। जब आप कर्तव्यों की बात करते हैं तो आप अपने कर्तव्य का पालन क्यों नहीं करते ? आप क्यों आज तक मणिपुर नहीं गए। ’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पास संसद सत्र के दौरान राज कपूर के परिवार से मिलने का समय है और प्रधानमंत्री ने उनके बच्चों के बारे में भी पूछा। ‘‘इसके लिए उनके पास समय है।’’
ब्रिटॉस ने सवाल किया कि क्या हमारे पास भूल सुधार करने का साहस नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आपके पास (सरकार के पास) साहस है तो लोकतंत्र, धर्म निरपेक्षता और संघवाद को सम्मान दें क्योंकि ये तीनों स्तंभ देश को मजबूत करते हैं और आज कहीं न कहीं ये तीनों स्तंभ कमजोर हुए हैं।
उन्होंने दावा किया कि विपक्ष शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है और केरल इसका उदाहरण है जहां वायनाड प्राकृतिक आपदा में तहस नहस हो गया लेकिन केंद्र ने एक रुपये की भी मदद नहीं दी।
उन्होंने कहा ‘‘आप एक देश एक चुनाव की बात करते हैं लेकिन आप पहले सबको एक समान नजर से तो देखिए। आप एक देश एक चुनाव के नाम पर एक विचारधारा की बात कर विविधतापूर्ण इस देश की खूबसूरती को खत्म करना चाहते हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस की सुष्मिता देव ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने संविधान के माध्यम से देश में सभी को समानता का अधिकार दिया। ‘‘लेकिन आज हम यह नहीं कह सकते कि देश में समानता है क्योंकि देश की 40 फीसदी संपत्ति एक फीसदी लोगों के हाथ में हैं। ’’
उन्होंने कहा कि आज ऊंची पढ़ाई पढ़ कर निकले युवा प्रतियोगी परीक्षा में भाग नहीं ले पाते, अगर वह भाग ले कर उत्तीर्ण हो जाते हैं तो उन्हें नौकरी नहीं मिलती। आज कारपोरेट घरानों के कर्ज माफ किए जाते हैं लेकिन किसानों के कर्ज माफ नहीं किए जाते। मध्यम वर्ग कर दे दे कर बेहाल है लेकिन उसे राहत कहां मिल रही है।
सुष्मिता ने कहा कि नोटबंदी और लॉकडाउन सहित सरकार की विनाशकारी नीतियों ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है। ‘‘यह आर्थिक असमानता है।’’
उन्होंने कहा ‘‘सामाजिक असमानता भी देखें। भाजपा के इतने सांसदों ने संविधान पर चर्चा में अपनी अपनी बात रखी लेकिन मणिपुर पर एक भी सांसद ने कुछ नहीं कहा, सब मौन रहे। पूर्वोत्तर की सांसद होने के नाते मैं मांग करती हूं कि मणिपुर पर मौन के लिए पूर्वोत्तर से सत्ता पक्ष के सभी सांसदों को और मंत्रियों इस्तीफा दे देना चाहिए।’’
उन्होंने कहा ‘‘हम संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन इस बात का जवाब कौन देगा कि मणिपुर में लोगों के कौन-कौन से संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ ? मणिपुर के लोगों के हर अधिकार निलंबित कर दिए गए।’’
सुष्मिता ने कहा ‘‘असम में एनआरसी की चर्चा है। क्यों? क्या यह जरूरी है ? आंबेडकर कभी नहीं चाहते थे कि देश में ‘एक देश एक चुनाव’ की अवधारणा हो लेकिन यह सरकार ‘एक देश एक चुनाव’ का विधेयक ले कर आई है। ’’
उन्होंने कहा कि ‘एक देश एक चुनाव’ संबंधी विधेयक संघवाद की भावना के विरुद्ध है।
पूर्व प्रधानमंत्री एवं जद(एस) नेता एच डी देवेगौड़ा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि संविधान पर चर्चा करने से पहले ‘‘हमें आत्ममंथन करना चाहिए और सोचना चाहिए कि क्या यह चर्चा करना ही सब कुछ है या हम वास्तव में संविधान का पालन कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि संविधान के पालन की बदौलत ही देश आज ऊंचाई के इस मुकाम पर पहुंच पाया है और आगे भी यह सफर जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में आज बहुत कुछ बदला है लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
उन्होंने कहा कि समय समय पर संविधान में संशोधन किए गए जिनके बारे में कहा गया कि ये संशोधन जरूरी हैं। ‘‘लेकिन क्या ये संशोधन अपना उद्देश्य पूरा करने में सफल रहे?’’
देवेगौड़ा ने कहा कि किसानों की समस्या का हल निकालना जरूरी है क्योंकि वह देश के अन्नदाता हैं। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि किसानों से यथाशीघ्र बातचीत कर उनकी समस्याओं का वाजिब समाधान निकाला जाए।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि उन्हें भाजपा नेताओं द्वारा संविधान की उद्देशिका में ‘समाजवाद’ शब्द शामिल करने पर जो आपत्ति है, उसे लेकर हैरत होती है। उन्होंने कहा कि लोगों को भोजन शिक्षा आदि का अधिकार मिले, क्या इससे भाजपा के नेताओं को आपत्ति है?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विभिन्न सरकारों ने देश के विकास के लिए जो संविधान में जो संशोधन किए, उन पर आपत्ति करना बेमानी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को सत्ता का नशा हो गया है और इसी लिए वह निर्वाचित प्रतिनिधियों की खरीद- फरोख्त कर चुनी गयी सरकारों को गिरा रही है।
हुसैन ने कहा कि भारत के संविधान में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने की गारंटी दी गयी है। उन्होंने कहा कि ‘‘हम बहुत तेजी से अल्पसंख्यकों से घृणा करने वाले देश बनते जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल को अल्पसंख्यकों के बारे में भ्रम फैलाना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी को अपने धर्म के अनुसार अपनी मान्यताओं को मानने और पालन करने का अधिकार दिया गया है।
कांग्रेस ने कहा कि आज अल्पसंख्यकों की वहीं स्थिति हो गयी है जो दूसरे विश्व युद्ध से पहले जर्मनी में यहूदियों की थी।
तृणमूल कांग्रेस की ममता ठाकुर ने चर्चा में भाग लेते हुए अपनी बात बांग्ला में रखी और उन्होंने संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव आंबेडकर की भूमिका की सराहना की।
भाषा
मनीषा माधव
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