संबलपुर : ओडिशा के संबलपुर शहर में एलएलएम की एक छात्रा ने सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान वेतन सहित अवकाश की मांग करते हुए एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। भारी धातु उद्योग में काम कर चुकीं रंजीता प्रियदर्शिनी ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव से महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौरान वेतन सहित अवकाश प्रदान करने का आग्रह किया है।
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रंजीता प्रियदर्शिनी ने इस संबंध में ओडिशा के श्रम एवं रोजगार मंत्री सुशांत सिंह को एक याचिका भी सौंपी है। रंजीता ने शनिवार को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मासिक धर्म के दौरान काम करने से होने वाली असुविधा पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। मैं पुरुषों और महिलाओं के लिए एक जैसे सम्मान की मांग करती हूं, क्योंकि मासिक धर्म के दौरान एक तिहाई कार्यबल शारीरिक और मानसिक दबाव में काम करना जारी रखता है।’
उन्होंने कहा, ‘हम मासिक धर्म के लिए महीने में सिर्फ एक दिन की वेतन सहित छुट्टी की मांग कर रहे हैं, क्योंकि 99 प्रतिशत महिलाओं को 24 घंटे के लिए अधिकतम दर्द का सामना करना पड़ता है।’कानून की छात्रा रंजीता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-15(3) और अनुच्छेद-42 के अनुसार राज्य को महिलाओं को काम के लिए न्यायसंगत और मानवीय स्थिति प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान करना चाहिए।रंजीता प्रियदर्शिनी ने कहा कि इस तरह की छुट्टी की मांग करने में उन्हें कोई शर्म नहीं है और महिलाओं से याचिका पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया।उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में 12 कंपनियां मासिक धर्म के दौरान वेतन सहित छुट्टी की सुविधा दे रही हैं। इसलिए, सभी सरकारी और निजी कार्यालयों में इसे लागू करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।