नई दिल्ली। ग्लोबल वॉर्मिंग ने कई देशों को खतरे में डाला है। यही वजह है कि दुनिया के कई शहर 2050 और 2100 तक डूब जाएंगे। लेकिन सबसे ज्यादा खतरा अगले 9 सालों में दुनिया के इन 9 शहरों को है, जो समुद्री जलस्तर और बाढ़ की वजह से डूब सकते हैं।
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इस सूची में भारत से कोलकाता शहर भी शामिल है। क्लाइमेट सेंट्रल नाम के प्रोजेक्ट ने ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बढ़ते खतरों पर एक रिपोर्ट तैयार की है।
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1. कोलकाता, भारत
भारत के पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता और उसके आसपास की जमीन सदियों से काफी उर्वरक मानी गई है। लेकिन अगर क्लाइमेट सेंट्रल के नक्शे को देखे तो इस शहर के लिए भी समुद्री जलस्तर बढ़ने का खतरा बहुत ज्यादा है। ये शहर भी हो ची मिन्ह सिटी की तरह मॉनसून की बारिश और हाई टाइड की समस्या से जूझता है. यहां बारिश के मौसम में बाढ़ आती है। जमीन में बारिश का पानी अंदर नहीं जाता। इसके पास स्थित बड़ा डेल्टा वाला इलाका इसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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2. एम्स्टर्डम, द नीदरलैंड्स
द नीदरलैंड्स की राजधानी एम्स्टर्डम, रॉटरडम और हॉग जैसे शहर कम ऊंचाई पर हैं. ये नॉर्थ सी के नजदीक हैं। डच देश बाढ़ से बचाव के लिए अपनी तकनीक को लेकर दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. लेकिन जिस हिसाब से समुद्री जलस्तर बढ़ रहा है, उसे देखकर लगता नहीं कि इस देश के कुछ खूबसूरत शहर बचेंगे. कोई भी डैम, बैरियर, फ्लडगेट इन्हें बचा नहीं पाएंगे। लेकिन अगर इनकी तकनीक को सुधारा जाए या और अपग्रेड किया जाए तो शहरों को कुछ समय के लिए बचाया जा सकता है।
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3. बसरा, इराक
इराक का मुख्य बंदरगाह शहर बसरा शत अल-अरब नाम की बड़ी नदी के किनारे बसा है। शत अल-अरब नदी में पारस की खाड़ी से मिलती है. कई सारी नहरों और बैक वॉटर चैनल्स के जरिए ये शहर खाड़ी से जुड़ा है। इसकी वजह से इस शहर के आसपास काफी दलदली इलाका भी है. अगर समुद्री जलस्तर बढ़ता है तो इस शहर को खतरा है। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि पानी से होने वाली बीमारियों से बसरा लगातार जूझता रहता है। अगर बाढ़ आई तो इस शहर में काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है। ये नक्शे से खत्म भी हो सकता है।
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4. न्यू ओरलींस, अमेरिका
अमेरिका के न्यू ओरलींस शहर के बीच से नहरों और जलीय शाखाओं का जाल बिछा हुआ है. ये जाल इस शहर को बाढ़ से बचाता है. इसके उत्तर में लेक मॉरेपास, दक्षिण में लेक सल्वाडोर और एक छोटी झील है. अगर ये सुरक्षा जाल न हो तो न्यू ओरलींस में भारी तबाही हो, लेकिन इनके बावजूद अगर समुद्र जलस्तर तेजी से बढ़ता है तो इस शहर के लिए खतरा है. शहर के द बिलोक्सी और जीन लैफिटे वाइल्डलाइफ प्रिजर्व को ज्यादा खतरा है। ये तो पानी के लेवल पर ही है. जरा सा पानी का स्तर बढ़ा तो ये डूब जाएंगे।
5. वेनिस, इटली
इटली का वेनिस शहर पानी के बीच में बना है. यहां पर हर साल हाई टाइड से बाढ़ आती है. इस शहर में दो तरह का खतरा है. पहला समुद्री जलस्तर बढ़ने का और दूसरा ये शहर अपने आप डूब रहा है. हर साल 2 मिलिमीटर नीचे धंस रहा है. न्यू ओरलींस की तरह ही वेनिस में बाढ़ से बचाव के लिए तकनीक लगाई गई है. बाढ़ रोधी व्यवस्थाएं की गई हैं, इसके बावजूद यहां हर साल बाढ़ आती है। अगर समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ा तो 2030 तक ये शहर पानी के अंदर डूब जाएगा. जिसे संभालना मुश्किल होगा।
6. हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम
वियतनाम के पूर्वी इलाके में बसा ये शहर पूरी तरह से समतल है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई ज्यादा नहीं है. यह थू थियेम नाम के दलदली जमीन पर बसा है. इसे सबसे बड़ा खतरा मेकॉन्ग डेल्टा से है। इस डेल्टा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों को आशंका है कि हो ची मिन्ह सिटी साल 2030 तक पानी के अंदर डूब जाएगा। ये शहर भी वेनिस और न्यू ओरलींस की तरह पानी के अंदर डूब सकता है।
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7. बैंकॉक, थाईलैंड
थाईलैंड में पर्यटन के लिए मशहूर बैंकॉक शहर ग्लोबल वॉर्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित है. थाईलैंड की ये राजधानी समुद्री जलस्तर से सिर्फ 1.5 मीटर ऊपर है. जैसे कि वेनिस शहर. यह भी वेनिस की तरह हर साल 2 से 3 सेंटीमीटर धंस रहा है. यह पूरा शहर रेतीली मिट्टी पर बना है. साल 2030 तक इसके तटीय इलाके था खाम और समुत प्रकान पूरी तरह से पानी के अंदर समा सकते हैं. साथ ही सुवर्णभूमि में स्थित इस शहर का इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी.
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8. जॉर्जटाउन, गुएना
गुएना की राजधानी जॉर्जटाउन ने अपने चारों तरफ समुद्री बाढ़ से बचने के लिए दीवारें बना रखीं हैं. इसके एक तरफ करीब 400 किलोमीटर लंबा समुद्री इलाका है. जहां काफी तेज लहरें उठती हैं। इसकी तटों की उंचाई 0.5 मीटर से लेकर एक मीटर तक है. लेकिन हाई टाइड के समय यह ऊंचाई कुछ मायने नहीं रखती। समुद्र का पानी दीवारों को पार करके शहर के अंदर चला आता है. गुएना की 90 फीसदी आबादी समुद्री किनारों के पास रहती है। अगर इस देश को जॉर्जटाउन और अन्य तटीय इलाकों को बचाना है तो उन्हें अपनी दीवारें और ऊपर उठानी होंगी।
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9. सवाना, अमेरिका,
अमेरिका के जॉर्जिया में स्थित सवाना शहर हरिकेन का मुख्य बिंदु है. यहां पर हर साल कई हरिकेन आते हैं. हर साल प्राकृतिक आपदाओं से जूझने वाला ये इलाका चारों तरफ से समुद्र से घिरा है। शहर के अंदर उत्तर दिशा में सवाना नदीं है और दक्षिण की तरफ ओगीची नदी है। जिसकी वजह से इसके आसपास काफी दलदली इलाका है. इसका मतलब ये है कि अगर यहां हरिकेन और अचानक बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है. इस शहर को पूरी तरह से डूबने में 2050 लग जाएंगे लेकिन 2030 तक यहां काफी आपदाएं आएंगी।