हिंदी और अन्य भाषाओं में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती, वे सखियां हैं : शाह

हिंदी और अन्य भाषाओं में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती, वे सखियां हैं : शाह

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  • Publish Date - September 14, 2024 / 06:52 PM IST,
    Updated On - September 14, 2024 / 06:52 PM IST

(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि राजभाषा हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कभी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती, क्योंकि वे सखियां हैं और एक-दूसरे की पूरक हैं।

शाह ने हिंदी दिवस के अवसर पर चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि राजभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार तब तक नहीं हो सकता, जब तक अन्य सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत नहीं किया जाता और राजभाषा उन सभी के साथ संवाद स्थापित नहीं करती।

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी और स्थानीय भाषाओं के बीच कभी प्रतिस्पर्धा नहीं हो सकती, क्योंकि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी स्थानीय भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, इसलिए उनके बीच का रिश्ता और मजबूत किया जाएगा।’’

गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी दिवस हिंदी को संपर्क भाषा, आम भाषा, तकनीकी भाषा और अब अंतरराष्ट्रीय भाषा बनाने का संकल्प लेने का अवसर है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता मिलने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हीरक जयंती मना रहे हैं। हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करके और हिंदी के माध्यम से देश की सभी स्थानीय भाषाओं को जोड़कर हम अपनी संस्कृति, भाषाओं, साहित्य, कला एवं व्याकरण के संरक्षण तथा संवर्धन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।’’

शाह ने कहा कि हिंदी भू-राजनीतिक भाषा से अधिक भू-सांस्कृतिक भाषा है। उन्होंने कहा कि उनके दोनों मंत्रालयों-गृह और सहकारिता मंत्रालय में फाइल के माध्यम से सभी संचार हिंदी में किए जाते हैं।

शाह ने कहा, ‘‘इस स्तर तक पहुंचने में तीन साल लगे।’’

गृह मंत्री ने रेखांकित किया कि भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि इस भाषा की 75 साल की यात्रा अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के अंतिम चरण में है और अब समय आ गया है कि हिंदी को संचार, लोगों, प्रौद्योगिकी और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में भी स्थापित किया जाए।

शाह ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में देने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि किसी बच्चे के लिए भाषाई अभिव्यक्ति, सोच, समझ, तर्क, विश्लेषण और निर्णय तक पहुंचने के लिए सबसे आसान भाषा उसकी मातृभाषा है।

शाह ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की सभी भाषाओं को मजबूत किया जाए और राजभाषा को देश की संपर्क भाषा बनाया जाए, जिससे सभी लोग अपनी-अपनी भाषा में देश का काम कर सकें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और न्यायपालिका में हिंदी के प्रयोग की दिशा में काम कर रही है।

गृह मंत्री ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड ने आज चिकित्सा शिक्षा का पूरा पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार कर लिया है और आने वाले दिनों में भारत की लगभग 13 भाषाओं में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम तैयार करने का काम जारी है।

इस कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री ने उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्रसिद्ध चिकित्सक शरद अग्रवाल की पुस्तक ‘हिंदी कहावत कोश’ का विमोचन किया।

समाज के हित में अग्रवाल ने आम बीमारियों और उनकी रोकथाम के बारे में सरल हिंदी भाषा में उपयोगी जानकारी देने के लिए ‘हेल्थहिंदी डॉट इन’ वेबसाइट भी बनाई है।

हिंदी कहावतों को संरक्षित करने और उन्हें आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अग्रवाल ने ‘हिंदी कहावत कोश’ लिखी है। इसमें उन्होंने 10,000 से अधिक कहावतें और उनके निर्माण से जुड़ी 200 से अधिक कहानियां संकलित की हैं।

इससे पहले, शाह ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संविधान सभा की भावना यह थी कि देश के सभी नागरिकों को एक-दूसरे के साथ किसी भारतीय भाषा में संवाद करना चाहिए, चाहे वह हिंदी हो, तमिल हो, तेलुगु हो, मलयालम हो या गुजराती हो।

उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हिंदी को मजबूत करने से ये सभी भाषाएं भी लचीली एवं समृद्ध बनेंगी। एकीकरण किए जाने पर ये सभी भाषाएं हमारी संस्कृति, इतिहास, साहित्य, व्याकरण और संस्कार को भी आगे ले जाएंगी।’’

गृह मंत्री ने कहा कि इस वर्ष हिंदी दिवस सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था और तब से 75 साल हो गए हैं तथा देश इस साल राजभाषा की हीरक जयंती मनाने जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी ने 75 वर्ष में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन इस मोड़ पर मैं निश्चित रूप से यह बात कह सकता हूं कि हिंदी की किसी स्थानीय भाषा से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है और वे एक-दूसरे की पूरक हैं। चाहे वह गुजराती हो, मराठी हो, तेलुगु हो, मलयालम हो, तमिल हो या बांग्ला हो, हर भाषा हिंदी को मजबूत करती है और हिंदी हर भाषा को मजबूत करती है।’’

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्ष में हिंदी और स्थानीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी काम किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गर्व के साथ हिंदी में लोगों को संबोधित किया है और देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में हिंदी के महत्व को सामने रखा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने देश की भाषाओं के प्रति गौरव की भावना भी बढ़ाई है। इन 10 वर्ष में हमने कई भारतीय भाषाओं को मजबूत करने के लिए काफी प्रयास किए हैं।’’

भाषा धीरज पारुल

पारुल