खेल में कोई दुश्मन नहीं होता : कबीर खान ने नीरज चोपड़ा के बारे में बात करते हुए कहा

खेल में कोई दुश्मन नहीं होता : कबीर खान ने नीरज चोपड़ा के बारे में बात करते हुए कहा

  •  
  • Publish Date - September 3, 2024 / 03:39 PM IST,
    Updated On - September 3, 2024 / 03:39 PM IST

(बेदिका)

नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) फिल्म निर्माता कबीर खान पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि खेलों में कोई दुश्मन नहीं होता। वह दरअसल पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पाकिस्तान के अरशद नदीम के बारे में बोलते समय नीरज चोपड़ा की ‘शालीनता’ का जिक्र करते हुए यह बात कहते हैं।

खान की पिछली दोनों फिल्में ‘83’ और ‘चंदू चैंपियन’ खेल नायकों के बारे में ही हैं। उन्होंने चोपड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि भाला फेंक में प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद नदीम के साथ उनकी गहरी दोस्ती है।

फिल्म निर्माता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘ओलंपिक में जिस गरिमा और शालीनता के साथ हमारे चैंपियन नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतने वाले पाकिस्तान के अरशद नदीम के बारे में बात की, उससे पता चलता है कि खेलों में कोई दुश्मन नहीं होता।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देशभक्ति का मतलब अपने देश के प्रति प्रेम होता है, जबकि राष्ट्रवाद में आपको अपने देश के प्रति अपने प्रेम को साबित करने के लिए एक दुश्मन की आवश्यकता होती है।’’

कबीर खान ने कहा, ‘‘खेलों में, हर कोई अपने देश के लिए गौरव हासिल करने की कोशिश कर रहा है। ‘चंदू चैंपियन’ और ‘83’ बेहद देशभक्ति वाली फिल्में हैं, लेकिन वे राष्ट्रवादी फिल्में बिल्कुल भी नहीं हैं।’’

पिछले महीने, पेरिस ओलंपिक में चोपड़ा को भाला फेंक स्पर्धा में नदीम ने हराया था। चोपड़ा ने 2020 तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।

क्या चोपड़ा के जीवन पर एक दिलचस्प बायोपिक बन सकती है, इस पर फिल्मकार ने कहा कि यह देखना होगा कि कहानी में कितना ड्रामा है, तभी इसे बड़े पर्दे पर दिखाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या वह (चोपड़ा) एक ऐसे व्यक्ति हैं जो एक आदर्श रोल मॉडल हैं? बिल्कुल हैं। मुझे लगता है कि जिस तरह से नीरज चोपड़ा खुद को पेश करते हैं, उसमें कुछ बहुत ही गरिमापूर्ण, सुसंस्कृत है…।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से वह मुद्दों पर बोलते हैं, जिस तरह से वह प्रतियोगिताओं में खुद को शामिल करते हैं, जिस तरह से वह अन्य लोगों का समर्थन करते हैं, जिस तरह से वह अन्य खिलाड़ियों के लिए खड़े होते हैं, वह वास्तव में सराहनीय है। मैं व्यक्तिगत रूप से नीरज चोपड़ा का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं।’’

कार्तिक आर्यन अभिनीत ‘चंदू चैंपियन’ भारत के पहले पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर की कहानी पर आधारित है। इस फिल्म ने हाल ही में संपन्न भारतीय फिल्म महोत्सव मेलबर्न (आईएफएफएम) के 15वें संस्करण में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और निर्देशक का पुरस्कार जीता।

खान, जो फिल्म निर्माता के राजनीतिक रुख को हस्ताक्षर की तरह उसके काम का अविभाज्य हिस्सा मानते हैं, ने कहा कि निर्देशकों के लिए यह भी महत्वपूर्ण है कि वे जिस दौर में जी रहे हैं, उसे रिकॉर्ड करें।

उन्होंने कहा, ‘‘आपकी विचारधारा ही आपका हस्ताक्षर है। एक कलाकार के तौर पर, अगर आपकी विचारधारा आपकी फिल्मों में नहीं दिखाई जाएगी, तो और क्या? वे कहते हैं कि सिनेमा समाज का आईना है, लेकिन यह दर्ज भी होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हम इन उपलब्धियों और इन अनोखे जीवन का जश्न मनाएं… हम हमेशा इस बात पर आश्चर्यचकित होते हैं कि हॉलीवुड किस तरह अपने हाल के इतिहास से कहानियों को शानदार ढंग से उठाता है और मुझे बहुत खुशी है कि हम भी ऐसा करने में सक्षम हैं।’’

निर्देशक ने कहा कि अगर उन्होंने अपने सिनेमा के माध्यम से पेटकर के जीवन को चित्रित नहीं किया होता तो उन्हें दुख होता क्योंकि ‘‘ये ऐसे नायक हैं जिनका उत्सव मनाना जरूरी है क्योंकि वे हमें आने वाले वर्षों के लिए प्रेरित करते हैं’’।

खान ने अभी तक अपनी अगली फिल्म या शो की घोषणा नहीं की है। हालांकि सलमान खान के साथ उनकी ‘एक था टाइगर’, ‘बजरंगी भाई जान’ और ‘ट्यूबलाइट’ के बाद संभावित चौथी फिल्म को लेकर अटकलें हैं।

कबीर खान ने कहा, ‘‘सलमान और मैंने साथ में तीन फिल्म की हैं, इसलिए जब भी हम मिलते हैं, फिल्मों के बारे में बात होती है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि चर्चा किसी फिल्म तक ही पहुंचे। ‘बब्बर शेर’ के बारे में मैंने कहा था कि यह शीर्षक मेरे पास नहीं है, किसी और के पास है। इसलिए मुझे लगता है कि लोगों ने यह अटकल शुरू कर दी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘टाइगर और बजरंगी दो ऐसे मशहूर किरदार हैं, जब भी मैं और सलमान बात करते हैं, तो इस बात को लेकर उत्साह रहता है कि आगे क्या होगा, लेकिन अभी तक कुछ भी तय नहीं है। अगर कोई ऐसी चीज होगी जो सलमान को उत्साहित करेगी और हम उसे करने के बारे में सोचेंगे, तो सबसे पहले मैं इस बारे में बात करूंगा।’’

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा