World’s only vegetarian crocodile dies : नई दिल्ली – श्री अनंतपद्मनाभ स्वामी मंदिर परिसर के तालाब में 70 सालों से निवास करने वाले दुनिया के इकलौते शाकाहारी मगरमच्छ की रविवार रात मौत हो गई। मंदिर अधिकारियों ने बताया कि लोग प्यार से इस मगरमच्छ को बाबिया बुलाते थे। यह मगरमच्छ शनिवार से गायब था और रविवार रात साढ़े ग्यारह बजे इसका शव मंदिर के तालाब में तैरता दिखा। इसके बाद इसकी जानकारी पुलिस और पशुपालन विभाग को दी गई। मगरमच्छ के शव को लोगों के दर्शन के लिए रखा गया, जहां सोमवार की सुबह कई नेताओं समेत सैकड़ों स्थानीय लोग उसे देखने पहुंचे। पुजारियों ने हिंदू रीति-रिवाज से मगरमच्छ की अंतिम यात्रा निकाली और परिसर के पास ही उसे दफना दिया।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<<
#Babiya #mystic #crocodile at Sri #AnanthapadmanabhaSwamyTemple #Ananthapura #Kasaragod #Kerala, dies. The 75-yr-old mugger was referred to as vegetarian crocodile #temple. The centuries old temple is the original source of Sri #PadmanabhaSwamyTemple in #Thiruvananthapuram pic.twitter.com/dp1p43b7lq
— biju govind (@bijugovind) October 10, 2022
World’s only vegetarian crocodile dies : मंदिर के पुजारी और ग्रामीण लोग मगरमच्छ को प्यार से बाबिया कहते थे। बाबिया मंदिर में लगने वाले प्रसाद चावल और गुड़ का सेवन करता था इसके अतिरिक्त वह कुछ नहीं खाता था। बाबिया शनिवार से लापता था। रविवार को इसके मृत की सूचना मिली।
World’s only vegetarian crocodile dies : बाबिया को देखने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे भी पहुंचीं। उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मगरमच्छ 70 सालों से मंदिर में रहता था। भगवान उसे मोक्ष दे। BJP प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि लाखों भक्तों ने मगरमच्छ के दर्शन किए। बाबिया को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
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World’s only vegetarian crocodile dies : मान्यता है कि सदियों पहले एक महात्मा इसी मंदिर में तपस्या कर रहे थे। तभी भगवान श्री कृष्ण बच्चे का रूप रखकर महात्मा को परेशान करने लगे। इस बात से नाराज होकर महात्मा ने कृष्ण को तालाब में धक्का दे दिया। जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तो भगवान को ढूंढने लगे, लेकिन पानी में कोई नहीं मिला। इस घटना के बाद पास में एक गुफा दिखाई दी। लोगों का मानना है कि इसी गुफा से भगवान गायब हो गए थे। कुछ दिनों बाद यहां से मगरमच्छ आने-जाने लगा। मंदिर के आसपास रहने वाले वृद्धों का कहना है कि झील में रहने वाला यह तीसरा मगरमच्छ था, लेकिन वहां पर दिखाई एक ही मगरमच्छ देता था। उसके बूढ़े होकर मर जाने के बाद नया मगरमच्छ अचानक आ जाता था।