उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य से पूछा कि क्या वह यूसीसी में आवश्यक बदलाव के लिए तैयार है

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य से पूछा कि क्या वह यूसीसी में आवश्यक बदलाव के लिए तैयार है

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य से पूछा कि क्या वह यूसीसी में आवश्यक बदलाव के लिए तैयार है
Modified Date: February 27, 2025 / 10:56 pm IST
Published Date: February 27, 2025 10:56 pm IST

नैनीताल, 27 फरवरी (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य से पूछा है कि क्या वह प्रदेश में हाल में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में आवश्यक बदलाव करने के लिए तैयार है ।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से यह सवाल यूसीसी में सहवासी (लिवइन) संबंधों के बारे में किए गए प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान किया ।

मेहता वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए।

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इससे पहले, यूसीसी को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय पहले ही केंद्र और राज्य सरकारों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का समय दे चुकी है । यूसीसी के संबंध में दायर सभी याचिकाओं पर एक अप्रैल को सुनवाई होनी है ।

पहले की याचिकाओं की तरह इस जनहित याचिका में भी लिवइन पंजीकरण फार्म में सूचनाएं मांगे जाने पर इस आधार पर आपत्ति प्रकट की गयी है कि यह युगल की निजता का उल्लंघन है ।

याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि पुलिस स्टेशन ऐसे संबंधों में रहने वाले व्यक्तियों की हर जानकारी रखेंगे जिससे पुलिस के लिए उनके घर आना-जाना आसान होगा और इससे उनकी निजता भंग होगी ।

अदालत ने कहा कि पुलिस राज्य की एक मशीनरी है और वह व्यक्तियों को परेशान करने के लिए अधिकृत नहीं है ।

उच्च न्यायालय ने इस याचिका को भी अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है जिन पर एक साथ एक अप्रैल को सुनवाई होनी है ।

भाषा सं दीप्ति शोभना

शोभना


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