प्रयागराज। महाराष्ट्र समेत पूरे देश में चल रहे लाउडस्पीकर विवाद के बीच इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इलाहबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना मौलिक अधिकार नहीं है। बदायूं की नूरी मस्जिद के मुतवल्ली की ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि उन्हें लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किए जाने की इजाजत दी जाए। हाईकोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया है।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<
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बता दें कि बदायूं के बिसौली तहसील के दौरानपुर गांव की नूरी मस्जिद के मुतवल्ली इरफान एसडीएम समेत तीन लोगों को पक्षकार बनाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मुतवल्ली इरफान ने एसडीएम द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की इजाजत वाली ख़ारिज की गई अर्जी को चुनौती दी गई थी। इस याचिका में हाईकोर्ट से कहा गया था कि लाउडस्पीकर की बजाने की इजाजत मौलिक अधिकार के तहत मिलनी चाहिए।
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इस याचिका पर जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस विकास बेंच ने सुनवाई करते हुए इस याचिका को ख़ारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना मौलिक अधिकारों में बिलकुल भी नहीं आता। हाईकोर्ट ने याचिका में की गई मांग को गलत बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिका में लाऊडस्पीकर बजाने की इजाजत के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिए गए थे, इसलिए कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देगा।
महाराष्ट्र नव-निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे का महाराष्ट्र सरकार को अल्टीमेटम देने के बाद से ही लाउडस्पीकर विवाद थमने का नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर लाऊडस्पीकर में अजान बजेगी, तो सभी जगहों पर उनसे दुगुनी आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। साथ ही जब तक उनकी बात नहीं मानी जाएगी तक तक यह आंदोलन जारी रखने की चेतावनी भी राज ठाकरे ने दी थी।
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