नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है और उनके निधन से राष्ट्र ने एक प्रख्यात राजनेता, जानेमाने अर्थशास्त्री और एक प्रतिष्ठित को नेता खो दिया है।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की स्मृति में एक शोक प्रस्ताव पारित किया। मंत्रिमंडल ने दो मिनट का मौन रखकर डॉ० मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी।’’
बयान में कहा गया कि सिंह के सम्मान में एक जनवरी 2025 तक सात दिनों के लिए राजकीय शोक घोषित किया गया है और शोक की इस अवधि के दौरान, पूरे भारत में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया जाएगा तथा विदेशों में स्थित सभी भारतीय मिशनों व उच्चायोगों में भी राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
बयान में कहा गया कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा और राजकीय अंत्येष्टि के दिन केन्द्र सरकार के सभी कार्यालयों और केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में आधे दिन का अवकाश घोषित किया जाएगा।
भारत में आर्थिक क्रांति लाने वाले सिंह का बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री थे।
शोक प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘मंत्रिमंडल 26 दिसंबर, 2024 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के दुखद निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है।’’
इसमें कहा गया कि अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में पश्चिमी पंजाब के गाह गांव में 26 सितम्बर, 1932 को जन्मे डॉ० सिंह का शैक्षिक जीवन शानदार रहा।
उन्होंने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की और 1957 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी ऑनर्स के साथ अर्थशास्त्र में ट्रिपोस प्रमाणपत्र हासिल किया। उन्हें 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा डी. फिल की डिग्री से सम्मानित किया गया।
डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में वरिष्ठ व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया और उसी विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने। साल 1969 में, वह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर बने।
डॉ. मनमोहन सिंह 1971 में तत्कालीन विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बने। वे वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-76), आर्थिक कार्य विभाग के सचिव (नवम्बर, 1976 से अप्रैल, 1980), योजना आयोग के सदस्य सचिव (अप्रैल, 1980 से सितम्बर, 1982) और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (सितम्बर, 1982 से जनवरी, 1985) रहे।
डॉ. सिंह को उनके करियर में प्रदान किए गए कई पुरस्कारों और सम्मानों में सबसे प्रमुख भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण (1987), भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995), वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956) है।
शोक प्रस्ताव में कहा गया कि मनमोहन सिंह ने 1991 से 1996 के बीच भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया और आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति लाने में उनकी भूमिका सर्वविदित है।
मनमोहन सिंह 22 मई, 2004 को भारत के प्रधानमंत्री बने और मई, 2009 तक प्रधानमंत्री रहे। वह मई 2009 से 2014 तक दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बने।
प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘मनमोहन सिंह ने हमारे राष्ट्रीय जीवन पर अपनी छाप छोड़ी है। उनके निधन से राष्ट्र ने एक प्रख्यात राजनेता, जानेमाने अर्थशास्त्री और एक प्रतिष्ठित नेता को खो दिया है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘मंत्रिमंडल, सरकार और पूरे देश की ओर से शोक संतप्त परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है।’’
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ब्रजेन्द्र नरेश
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