शीर्ष अदालत ने पूरे भारत में बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए एक समान नीति की वकालत की

शीर्ष अदालत ने पूरे भारत में बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए एक समान नीति की वकालत की

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  • Publish Date - January 16, 2025 / 04:42 PM IST,
    Updated On - January 16, 2025 / 04:42 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पूरे देश में बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए एक समान नीति का समर्थन किया।

उत्तराखंड में कॉर्बेट बाघ अभयारण्य से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह अखिल भारतीय स्तर पर एक समान नीति चाहती है।

पीठ ने कहा, “जहां तक बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन का सवाल है, हम पूरे देश में एक समान नीति चाहते हैं।” पीठ में न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन भी शामिल थे।

पीठ ने कहा कि नीति में बाघ अभयारण्यों के अंदर वाहनों की आवाजाही के पहलू को भी शामिल किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति गवई ने हाल ही में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा उस घटना पर स्वतः संज्ञान लिए जाने का उल्लेख किया, जिसमें पर्यटकों को ले जा रहे सफारी वाहनों ने नए साल की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र के उमरेड-पौनी-करहांडला अभयारण्य में एक बाघिन और उसके शावकों की आवाजाही में बाधा डाली थी।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘नागपुर में मुझे एक समाचार देखने को मिला। सौभाग्य से, उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान ले लिया है।’

इस मामले में न्याय मित्र के तौर पर अदालत की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का हवाला दिया।

पीठ ने कहा कि उसने इस मामले में सीबीआई की रिपोर्ट देखी है।

उत्तराखंड सरकार की ओर से उपस्थित वकील ने पीठ को उन अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच की वस्तु स्थिति के बारे में जानकारी दी, जो कथित तौर पर बाघ अभयारण्य में पेड़ों की अवैध कटाई और अवैध निर्माण में शामिल थे।

राज्य के वकील ने कहा कि 17 मामलों में विभागीय जांच पूरी हो चुकी है और कुछ में लंबित है।

जब राज्य के वकील ने सीबीआई जांच का हवाला दिया, तो पीठ ने कहा, ‘आप सीबीआई से संबंधित नहीं हैं। सीबीआई सीधे हमें रिपोर्ट करती है। सौभाग्य से, इसे आपके माध्यम से आने की जरूरत नहीं है।’

पीठ ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य से संबंधित मामले की सुनवाई 19 मार्च के लिए स्थगित कर दी।

पीठ ने कहा, ‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि 19 मार्च तक हमें पता चलता है कि आप कार्रवाई करने में गंभीर नहीं हैं, तो आपके मुख्य सचिव को अनावश्यक रूप से यहां बुलाया जाएगा।’

पीठ ने यह भी जानना चाहा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है और उनमें से कितनों को दंडित किया गया है।

राज्य के वकील ने कहा कि वह एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करेंगे ताकि यह रिकॉर्ड में दर्ज हो सके कि इन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किस चरण में है।

पीठ ने कहा कि सीबीआई अगली सुनवाई की तारीख से पहले मामले में की गई आगे की जांच पर एक रिपोर्ट भी दाखिल करेगी।

भाषा नोमान माधव

माधव